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डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम

बदनाम डेरा प्रमुख राम रहीम हत्या के केस में बरी, पंजाब में मतदान से पहले आया फैसला

सिरसा (हरियाणा) स्थित  डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख और बदनाम गुरमीत राम रहीम सिंह को 2002 के रणजीत सिंह हत्या मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार 28 मई को बरी कर दिया। राम रहीम को 2017 में यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया गया है और सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या में शामिल होने के लिए भी दोषी ठहराया गया था। राम रहीम को कथित तौर पर अपने 400 अनुयायियों को जबरन नपुंसक बनाने का आदेश देने के लिए भी मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को जिस केस में उसकी रिहाई हुई है, उससे उसके बदनामी के दाग नहीं धुलने वाले हैं, बेशक पंजाब चुनाव में उसका राजनीतिक इस्तेमाल अगले चार दिनों में न कर लिया जाए। राज्य में 1 जून को सभी 13 लोकसभा सीटों के लिए वोट पड़ेंगे। सिरसा हरियाणा-पंजाब सीमा पर बसा हुआ है।

जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस ललित बत्रा की बेंच ने डेरा मैनेजर रंजीत सिंह की हत्या के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के आदेश के खिलाफ राम रहीम सिंह, जसबीर सिंह, सबदिल सिंह, कृष्ण लाल और अवतार सिंह द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया था।

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2021 में, सीबीआई अदालत ने राम रहीम और चार अन्य को हत्या के मामले में दोषी ठहराया था और उन्हें आजीवन कैद की सजा सुनाई। रंजीत सिंह ने डेरे में राम रहीम द्वारा महिलाओं का शोषण करने को लेकर एक पर्चा और फोटो बांटा था। उस पर्चे को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार में छापा था। विशेष अदालत ने माना था कि बिना किसी संदेह के यह साबित हो गया है कि डेरा प्रमुख उस पर्चे के बंटने से व्यथित थे। उन्होंने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर रणजीत सिंह की हत्या की साजिश रची थी। 56 वर्षीय डेरा प्रमुख ने इस सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सीबीआई अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए चार अन्य लोगों को भी बरी कर दिया गया है।

गुरमीत रामरहीम के खिलाफ यौन उत्पीड़न के चौंकाने वाले आरोप बहुत पहले ही आ गए थे। जांच शुरू होने के एक दशक बाद 2014 में डेरा प्रमुख ने दावा किया था कि वह नपुंसक हैं, लेकिन अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया। 2017 में जब उसे सजा सुनाई गई तो चंडीगढ़ के पास पंचकूला के कई इलाकों में हिंसा और आगजनी हुई। इसमें तीस लोगों की मौत हो गई, 250 से अधिक घायल हो गए और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सेना बुलानी पड़ी। राम रहीम अब 20 साल की जेल की सजा काट रहा है और उसने अपनी सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

हरियाणा सरकार मेहरबान

हरियाणा भाजपा के कई नेताओं से राम रहीम के संबंध हैं। इसकी जड़ें पंजाब तक फैली हुई हैं। राम रहीम के सिरसा डेरे पर भाजपा के तमाम नेताओं, विधायकों और सांसदों को आशीर्वाद के लिए आते-जाते देखा गया। यही वजह है कि उसे हरियाणा सरकार बार-बार परोल देती रही। इस पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट को फरवरी 2024 में टिप्पणी करना पड़ी। अदालत ने बलात्कार के दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बार-बार परोल दिए जाने पर सवाल उठाए। बलात्कार के दोषी को जनवरी में 50 दिन की परोल दी गई थी, यह लगभग 10 महीने में उसकी सातवीं और पिछले चार वर्षों में नौवीं परोल थी। जून 2022 में हरियाणा नगर निगम चुनाव के बीच में 30 दिनों के लिए परोल मिली। चार महीने बाद अक्टूबर 2022 में हरियाणा की आदमपुर सीट पर उपचुनाव से पहले 40 दिनों के लिए फिर परोल मिली थी।

गुरमीत राम रहीम जितनी बार भी परोल पर बाहर आया, उसे या तो सत्संग करते देखा गया या फिर भाजपा नेताओं को आशीर्वाद देते देखा गया। फरवरी 2024 में हरियाणा की खट्टर सरकार ने गुरमीत राम रहीम को जेड प्लस सुरक्षा दी थी। सुरक्षा देने के पीछे खालिस्तान समर्थकों से उसकी जान को खतरा होना बताया गया था। पंजाब के मालवा इलाके में राम रहीम के अनुयायी बड़ी तादाद में हैं। 
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पंजाब के बठिंडा, मानसा और मुक्तसर में भी उसके डेरे हैं। हालांकि पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का मंगलवार 28 मई का फैसला अपनी जगह है और अदालत ने निश्चित तौर पर मेरिट के आधार पर फैसला दिया होगा। लेकिन पंजाब चुनाव से पहले ऐसा फैसला आने पर लोग तो सवाल करेंगे ही। अगर राम रहीम पर दिए गए फैसले से पंजाब में एक भी वोट प्रभावित होता है तो समझा जा सकता है कि ऐसे फैसलों का क्या असर होता है। हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट के कई फैसलों से भाजपा को पश्चिम बंगाल में चुनावी लाभ मिलने का आरोप लगा था। सत्तारूढ़ टीएमसी ने अदालत के कई फैसलों पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि इंसाफ किसे मिला यह सोचने की बात है। फायदा किसे मिला इस पर भी विचार हो। 

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क़मर वहीद नक़वी
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