इतिहासकार रामचंद्र गुहा समेत 50 लोगों पर राजद्रोह का मुक़दमा लगाए जाने पर फ़िल्म अभिनेत्री और निर्देशक अपर्णा सेन ने कहा कि यह उन्हें और दूसरे लोगों को परेशान करने की कोशिश तो है ही, देश में लोकतांत्रिक जगह सिकुड़ने का सबूत भी है। जिन 50 लोगों ने मॉब लिन्चिंग की घटनाओं पर चिंता जताते हुए एक खुला पत्र प्रधानमंत्री को लिखा था, उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा लगाया गया है। बिहार के मुज़फ्फ़रपुर में इस मामले में प्रथामिकी यानी एफ़आईआर दर्ज कराई कराया गया है। इस चिट्ठी पर दस्तख़त करने वालों में अपर्णा सेन और मणि रत्नम भी थे।
अपर्णा सेन मशहूर फ़िल्म निर्देशक हैं, जिन्होंने '36 चौरंगी लेन' जैसी यादगार फ़िल्मों का निर्देशन किया था। उन्होंने 'द क्विंट' से बात करते हुए इस पूरे मामले को ही हास्यास्पद करार दिया।
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यह हास्यास्पद है, उस चिट्ठी में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे राजद्रोह कहा जा सके। धीरे-धीरे लोकतंत्र की जगह हमसे छीनी जा रही है। यह परेशान करने का मामला है, और कुछ भी नहीं।
अपर्णा सेन, फ़िल्म निर्देशक
स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा ने इससे जुड़ी याचिका दायर की थी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूर्यकांत तिवारी ने इस पर एक आदेश जारी किया था। उस आधार पर मुज़फ्फ़रपुर सदर थाने में एफ़आईआर दर्ज कर दिया गया।
ओझा नामी-गिरामी लोगों के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज करने के लिए जाने जाते हैं। वे इसके पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर सचिन तेंडुलकर और शाहरुख़ ख़ान जैसी हस्तियों पर भी मुक़दमा दर्ज कर चुके हैं। उन्होंने कैटरीना कैफ़, सलमान ख़ान, अरविंद केजरीवाल और अन्ना हज़ारे पर भी मुक़दमे दर्ज किए हैं।
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