कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने सरकार पर लोकतंत्र को कुचलने का आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ कोई कुछ बोलता है तो उसे जेल में ठूंस दिया जाता है। वह
इतिहासकार रामचंद्र गुहा समेत 50 लोगों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज करने के बाद अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। इन लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ख़त लिख कर देश के अलग अलग जगहों पर होने वाली मॉब लिन्चिंग की वारदात पर चिंता जताते हुए एक खुला खत लिखा था। इस चिट्ठी पर दस्तख़त करने वालों में फ़िल्म निर्देशक
अपर्णा सेन और मणि रत्नम भी शामिल हैं।
राहुल गाँधी ने कहा, 'प्रधानमंंत्री के ख़िलाफ़ कोई भी कुछ भी बोलता है, सरकार की कोई भी आलोचना करता है, उसे जेल में डाल दिया जाता है, उस पर हमला होता है। मीडिया को कुचल दिया गया है। सबको पता है क्या हो रहा है, कुछ भी छुपा हुआ नहीं है।'
उन्होंने कहा कि 'देश तानाशाही शासन की ओर बढ़ रहा है। अब यह साफ़ हो चुका है।' उन्होंने एक व्यक्ति, एक सिद्धांत, एक देश के नारे को भी सिरे से खारिज कर दिया और सत्तारूढ़ दल पर तीखा हमला किया। राहुल गाँधी ने कहा:
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एक तरफ़ कहा जा रहा है कि देश पर एक व्यक्ति और एक विचारधारा का शासन हो और बाकी सबको चुप करा दिया जाए। दूसरी तरफ कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल हैं, जिनका मानना है कि देश में विविधता है। यहाँ अलग-अलग विचार, भाषा, संस्कृति और आवाज़ें हैं, जिन्हें ख़त्म नहीं किया जाना चाहिए। देश में असली लड़ाई तो इस मुद्दे पर चल रही है।
राहुल गाँधी, पूर्व अध्यक्ष, कांग्रेस
इन लोगों ने अलग-अलग जगहों पर लोगों को पीट-पीट कर मार डालने की वारदात पर चिंता जताते हुए एक
खुला ख़त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था। बता दें कि सिर्फ़ झारखंड में पिछले 6 साल में इस तरह की 53 घटनाएँ हुई हैं, पर किसी मामले में किसी को कोई सज़ा नहीं हुई है।
दिलचस्प बात यह है कि इस साल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में मॉब लिन्चिंग की घटनाओं पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह की घटना पश्चिम बंगाल में हो, झारखंड या केरल में, ऐसे करने वालों के साथ एक समान व्यवहार होना चाहिए और इन लोगों को क़ानून के मुताबिक सज़ा मिलनी ही चाहिए। इसके पहले अपने पहले कार्यकाल में भी प्रधानमंत्री ने यह मुद्दा उठाया था और कहा था कि कुछ लोग गोरक्षा के नाम पर क़ानून अपने हाथ में ले रहे हैं और अपराध कर रहे हैं। उन्होंने सभी राज्य सरकारों से कहाव था कि ऐसे लोगों का एक डेटा बैंक बनाया जाना चाहिए और उनके साथ सख़्ती से पेश आना चाहिए।
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