दिल्ली पुलिस ने आज कहा है कि आंदोलनकारी पहलवानों को इंडिया गेट पर धरना देने की इजाजत नहीं दी जाएगी। इसने कहा है कि अगर पहलवान स्मारक के सामने प्रदर्शन करते पाए गए तो उन्हें हिरासत में लिया जाएगा। भारत के शीर्ष पहलवानों को दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के दो दिन बाद साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगट जैसे शीर्ष पहलवानों ने कहा है कि वे अपने ओलंपिक और ओलंपिक खेलों को गंगा नदी में 'विसर्जित' कर देंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि वे नई दिल्ली के इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे।
पहलवानों ने कहा है कि पदक विसर्जन के बाद वे इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे। लेकिन अब इस प्रदर्शन को लेकर पुलिस ने कहा है कि वह उन्हें ऐसा नहीं करने देगी।
इस मामले में पीटीआई ने एक पुलिस सूत्र के हवाले से रिपोर्ट दी है कि इंडिया गेट एक विरोध स्थल नहीं है और हम उन्हें वहां विरोध करने की अनुमति नहीं देंगे। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के पुलिस उपायुक्त सुमन नलवा ने कहा कि किसी अन्य विरोध स्थल के लिए पहलवानों को अनुमति लेनी होगी।
इससे पहले पहलवानों को विरोध प्रदर्शन स्थल जंतर मंतर से बाहर कर दिया गया था। रविवार को ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेता खिलाड़ियों को पुलिस द्वारा घसीटे जाने का अभूतपूर्व दृश्य उस समय देखने को मिला जब महिला 'महापंचायत' के लिए पहलवान नए संसद भवन की ओर मार्च करने की तैयारी में थे।
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पहलवानों ने लिखा है कि उत्पीड़क संसद में बैठकर ठहाके लगा रहा है और पुलिस व सिस्टम हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहा है।
उन्होंने कहा है, 'वो शख्स टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देने वाली अपनी घटनाओं को कबूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है। यहां तक की पॉस्को एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है। हम महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है। हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलिंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे...।'
साक्षी मलिक ने एक बयान में कहा है, 'ये पदक हमारे जीवन और आत्मा हैं। हम उन्हें गंगा में विसर्जित करने जा रहे हैं क्योंकि वह माँ गंगा हैं। उसके बाद, जीने का कोई मतलब नहीं है, इसलिए हम इंडिया गेट पर मरते दम तक भूख हड़ताल पर बैठेंगे।' विरोध करने वाले अन्य पहलवानों ने भी यही बयान साझा किया है।
मलिक ने कहा कि महिला पहलवानों को लगता है कि इस देश में उनके लिए कुछ नहीं बचा है क्योंकि सिस्टम ने उनके साथ घटिया व्यवहार किया है।
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