कठुआ रेप और हत्या की पीड़िता को न्याय दिलाने की पैरवी करने वाली वकील दीपिका सिंह राजावत के एक ट्वीट को लेकर उनके घर के बाहर भीड़ क्यों इकट्ठी हो गई? क्यों दीपिका असुरक्षित महसूस करने लगीं और उन्हें डर लगने लगा कि कहीं उनके घर को नुक़सान न पहुँचा दिया जाए? क्या उनका ट्वीट इतना ज़्यादा आपत्तिजनक था या फिर इसके पीछे वे लोग हैं जो उनकी तार्किकता या उनके विचारों से सहमत नहीं हैं और ज़रूरत से ज़्यादा आक्रामक हैं?
सबसे पहले उनके ट्वीट को पढ़ें। उन्होंने एक कार्टून को ट्वीट किया है और उसमें उन्होंने सिर्फ़ एक शब्द लिखा है- 'विडम्बना'। उस कार्टून को लोकेश पूजा उके नाम के कार्टूनिस्ट ने बनाया है। उस कार्टून का लब्बोलुआब यह है कि नवरात्र में महिला की तो पूजा करते हैं और बाक़ी दिन बलात्कार जैसी घटना करते हैं। इस कार्टून में दो तसवीरें हैं। एक में लिखा है 'अन्य दिन' और इसमें दो टाँगें दिख रही हैं और एक पुरुष उन टाँगों को दबोचे हुए है। दूसरी तसवीर है जिसमें 'नवरात्र' लिखा है और उसमें माँ दुर्गा के आकार की एक महिला की आकृति है और एक पुरुष (पहली तसवीर वाला पुरुष) उनकी चरणों में है और नारियल और दीप से पूजा करता हुआ दिखता है।
वैसे तो इस तसवीर में आपत्तिजनक कुछ भी नहीं है, बल्कि महिलाओं का सम्मान दिखाने की बात कही गई है, लेकिन कुछ लोगों को यह नागवार गुजरा और उन्होंने इसे हिंदुओं के ख़िलाफ़ समझा। यानी ऐसे लोगों की भावनाएँ आहत हो गईं। वैसे, आहत होने वाले लोगों ने उस कार्टूनिस्ट के प्रति कैसी भावना जताई है यह तो पता नहीं है लेकिन वे उस कार्टून को ट्वीट करने वाली वकील दीपिका सिंह राजावत के ख़िलाफ़ आक्रामक हो गए।
ऐसे लोगों की भावनाएँ राजावत के ख़िलाफ़ इतनी ज़्यादा आहत हुईं कि वे राजावत के घर के बाहर इकट्ठे हो गए। इसको लेकर दीपिका ने मंगलवार को भी ट्वीट किया था। उन्होंने बुधवार फिर से ट्वीट में लिखा है, ' एलर्ट:
कई दक्षिणपंथी संगठन मेरे निवास के बाहर ग़ुस्से में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों को अप्रिय घटना को रोकने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।
ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों तरफ़ से हमलों के ख़तरों के मद्देनज़र - मुझे डर है कि उन्मादी भीड़ मुझ पर कभी भी हमला कर सकती है।'
@igpjmu @mukesh_ips_jk @JmuKmrPolice @HMOIndia @hrw @India_NHRC @UNHumanRights
— Deepika Singh Rajawat (Kashir Koor) (@DeepikaSRajawat) October 21, 2020
इससे एक दिन पहले भी उन्होंने ऐसे ही हमले की आशंका वाला एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने यह भी लिखा था कि उनके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की जा रही है।
स्वरा भास्कर ने दीपिका राजावत के समर्थन में ट्वीट किया, 'इस कार्टून को ट्वीट करने से कल रात दीपिका राजावत के घर के बाहर भीड़ जमा हो गई। क्यों? क्या अब हम अपने समाज के पाखंड पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं- जहाँ हम देवी की पूजा करते हैं लेकिन बलात्कार एक महामारी की तरह है? आइए एक पल के लिए ख़ुद से पूछें कि हम क्या बन गए हैं?'
आज के अपने ट्वीट में दीपिका राजावत ने साफ़ तौर पर लिखा है कि दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोगों की भीड़ उनको निशाना बना रही है। वह अक्सर दक्षिणपंथी संगठनों और उनसे जुड़े लोगों के निशाने पर रही हैं। वह ऐसे लोगों के निशाने पर पहली बार तब आई थीं जब उन्होंने कठुआ मामले में पीड़िता पक्ष की ओर से पैरवी शुरू की थी।
राजावत ने कठुआ केस में की थी पैरवी
2018 में हुए कठुआ गैंगरेप-हत्या के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। यह शायद अपनी तरह का पहला मामला हो जहाँ आठ साल की बच्ची से कई दिनों तक दुष्कर्म किया गया, उसे मार दिया गया और फिर इसके आरोपियों के पक्ष में रैली निकाली गई। उस रैली में राज्य सरकार के मंत्री और बीजेपी नेता तक शामिल हुए थे। वे आरोपियों के पक्ष में खड़े थे। पुलिस जब चार्जशीट दाखिल करने कोर्ट पहुँची तो वकीलों ने भी जमकर विरोध किया और चार्जशीट की कॉपियाँ तक फाड़ दी गईं।
अब इससे सिर्फ़ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह मामला कितना हाई प्रोफ़ाइल था, कितने बड़े स्तर पर इस केस को दबाने की कोशिश की जा रही थी और कितना राजनीतिक दबाव होगा। वकीलों ने भी मामले का विरोध कर दिया, उसके पक्ष में पैरवी करने की तो बात ही दूर थी।
तब जम्मू का कोई भी वकील कठुआ का वह केस लेने को तैयार नहीं था। दीपिका पर जम्मू बार एसोसिएशन ने दबाव बनाया था कि वह केस न लड़ें। ऐसे में ही दीपिका सिंह राजावत ने 8 साल की मासूम को इंसाफ़ दिलाने का बीड़ा उठाया।
जब उन्होंने केस लड़ने का फ़ैसला किया तो उनके ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ दिया गया। उन्हें तरह-तरह की धमकियाँ दी गईं। जब तक वह उस केस में शामिल रहीं तब तक उन्हें रेप करने की और जान से मारने की धमकियाँ मिलती रहीं। उनके परिवार को तबाह करने की धमकियाँ दी जाती रहीं। उस समय उन्हें धमकियाँ दक्षिणपंथी लोगों और ट्रोल ही दे रहे थे। उन्होंने कई बार इसका ज़िक्र किया था।
वैसे, तार्किक बातें रखने और खुले विचारों की पैरवी करने के लिए दक्षिणपंथियों के निशाने पर जम्मू और कश्मीर के प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बार 'कश्मीर टाइम्स' की संपादक अनुराधा भसीन भी रही हैं। हाल के दिनों में वह कश्मीर टाइम्स के कार्यालय पर कार्रवाई को लेकर चर्चा में हैं। दो दिन पहले ही कश्मीर टाइम्स के श्रीनगर कार्यालय को सोमवार को संपदा विभाग द्वारा सील कर दिए जाने के बाद अख़बार की संपादक अनुराधा भसीन ने कहा है कि कश्मीर के बारे में ज़मीनी हकीक़त बताने के लिये मुझे प्रतिशोध का निशाना बनाया गया है।
An attempt to silence people who are vocal.
— Deepika Singh Rajawat (Kashir Koor) (@DeepikaSRajawat) October 19, 2020
Death of democracy in true sense. https://t.co/geOxntPkxk
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