loader
दत्तात्रेय होसबले

देश में गरीबी, बेरोजगारी दानव की तरह खड़ी है: होसबले

देश में ग़रीबी है। बेरोजगारी है। असमानता बढ़ रही है। देश के बड़े हिस्से को अभी भी न तो साफ़ पानी मिलता है और न ही पौष्टिक भोजन। देश की ऐसी स्थिति का आकलन किसी विपक्षी नेता ने नहीं, बल्कि बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस के ही नेता का है। आरएसएस के ये नेता भी कोई ऐसे वैसे नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले हैं।

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' पर हैं। राहुल बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक असमानता के मुद्दों को उठाते रहे हैं। राहुल लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं जिसमें वह कहते हैं कि दो भारत बन गया है जिसमें एक दिन ब दिन अमीर होता जा रहा है और दूसरा गरीबी रेखा से नीचे धकेला जा रहा है।

ताज़ा ख़बरें

बहरहाल, होसबले आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित एक वेबिनार में बोल रहे थे। यह वेबिनार स्वावलंबी भारत अभियान के तहत आयोजित किया गया था। होसबले ने देश में ग़रीबी पर चिंता जताते हुए कहा, 'देश में गरीबी हमारे सामने दानव की तरह खड़ी है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस राक्षस का वध करें। 20 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे हैं, यह एक ऐसा आंकड़ा है जो हमें बहुत दुखी करता है। 23 करोड़ लोगों की प्रतिदिन की आय 375 रुपये से कम है।'

उन्होंने देश में बेरोजगारी की दयनीय स्थिति का ज़िक्र करते हुए कहा कि देश में चार करोड़ बेरोजगार हैं, श्रम बल सर्वेक्षण कहता है कि हमारे पास 7.6% की बेरोजगारी दर है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, होसबले ने कहा कि एक और बड़ा मुद्दा बढ़ती आर्थिक असमानता है। 

होसबले ने कहा, 

एक आँकड़ा कहता है कि भारत दुनिया की शीर्ष छह अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। लेकिन क्या यह अच्छी स्थिति है? भारत की शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास देश की आय का पांचवाँ (20%) हिस्सा है। साथ ही देश की 50% आबादी के पास देश की आय का केवल 13% है।


दत्तात्रेय होसबले, आरएसएस सरकार्यवाह

होसबले ने कहा कि 'देश के एक बड़े हिस्से में अभी भी स्वच्छ पानी और पौष्टिक भोजन नहीं है। नागरिक संघर्ष और शिक्षा का ख़राब स्तर भी गरीबी का एक कारण है। इसीलिए एक नई शिक्षा नीति की शुरुआत की गई है। यहाँ तक ​​कि जलवायु परिवर्तन भी ग़रीबी का एक कारण है। और कई जगहों पर सरकार की अक्षमता गरीबी का कारण है।'

देश से और ख़बरें

होसबले के अनुसार यह विचार कि केवल शहरी क्षेत्रों में ही रोजगार होगा, इससे गांव खाली हो गए हैं और शहरी जीवन नरक बन गया है।

उन्होंने यह भी कहा, 'हमें केवल अखिल भारतीय स्तर की योजनाओं की ही नहीं, बल्कि स्थानीय योजनाओं की भी ज़रूरत है। यह कृषि, कौशल विकास, विपणन आदि के क्षेत्र में किया जा सकता है। हम कुटीर उद्योग को पुनर्जीवित कर सकते हैं। इसी प्रकार चिकित्सा के क्षेत्र में भी स्थानीय स्तर पर बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण किया जा सकता है। हमें स्वरोजगार और उद्यमिता में रुचि रखने वाले लोगों को खोजने की जरूरत है।'

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

इंडिया गठबंधन से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें