मैरिटल रेप अपराध है या नहीं इसे लेकर दिल्ली हाई कोर्ट की खंडित राय सामने आई है। बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट की 2 जजों की बेंच ने इस मामले में 1-1 से फैसला सुनाया।
मैरिटल रेप: दिल्ली हाई कोर्ट एकमत नहीं, SC जाएगा मामला
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- 11 May, 2022
मैरिटल रेप को अपराध ठहराए जाने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में कोई फ़ैसला नहीं हो पाया। क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले में एकमत से कोई फैसला दे पाएगा?

जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी. हरिशंकर की इस मामले में अलग-अलग राय थी। हाई कोर्ट की बेंच ने मैरिटल रेप को अपराध ठहराए जाने के मामले में दायर याचिका पर लंबे वक्त तक सुनवाई के बाद फैसला सुनाया।
इस बारे में साल 2015 में याचिका दायर की गई थी। याचिका में बलात्कार के कानूनों में मौजूद उस अपवाद को चुनौती दी गई थी जो पुरुषों को अपनी पत्नियों के साथ उनकी बिना सहमति के शारीरिक संबंध बनाने पर सुरक्षा देता है।
यह अपवाद भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में खंड दो है और यह किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी से जबरन शारीरिक संबंध बनाने को बलात्कार के रूप में परिभाषित नहीं करता। हालांकि पत्नी की उम्र 15 वर्ष या इससे ज़्यादा होनी चाहिए।