लोकसभा चुनाव से पहले 'पकौड़ा अर्थव्यवस्था' थी! अब कई राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले 'गाय-गोबर अर्थव्यवस्था' है! आर्थिक मोर्चे पर नाकामी क्या 'गाय-गोबर-गोमूत्र' से दूर हो पाएगी? यदि ऐसा नहीं है तो फिर बीजेपी के नेता से लेकर मंत्री और प्रधानमंत्री तक का ज़ोर गाय-गोबर-गोमूत्र पर क्यों है? राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष ने हाल ही में कहा है कि स्टार्टअप का फ़ोकस गोबर, गोमूत्र जैसे गाय के उत्पादों को कॉमर्शियलाइज़ करने पर है और सरकार इसके लिए 60 फ़ीसदी तक फ़ंड मुहैया कराएगी। पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि हम गाय की फ़ैक्ट्री लगा देंगे, सिर्फ़ बछिया पैदा होंगी और क्रांति ला देंगे। मोदी ने मथुरा में कहा कि ओम और गाय सुनते ही कुछ लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इनके इन बयानों से सवाल उठते हैं कि क्या बीजेपी गाय और हिन्दुत्व के नाम पर चुनाव लड़ेगी?