चीन सहित दुनिया के कुछ देशों में फिर से कोरोना संक्रमण फैलने से भारत में कोरोना को लेकर जैसी आशंका जताई जा रही थी, क्या अब वह आशंका और बढ़ गई है? यह सवाल इसलिए कि भारत में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के बीएफ़7 सब-वैरिएंट के चार मामले पाए गए हैं। ये मामले गुजरात और ओडिशा में पाए गए हैं। यह वही वैरिएंट है जिसको चीन में कोरोना के तेजी से फैलने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। इसी वैरिएंट के मामले अमेरिका, इंग्लैंड और बेल्जियम, जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क सहित कई यूरोपीय देशों में मिल चुके हैं। तो सवाल है कि आख़िर यह कितना तेजी से फैलता है और कितना घातक है?
हालाँकि, इसको लेकर पुख्ता आँकड़े अभी नहीं आए हैं, लेकिन यह समझने के लिए उन देशों के आँकड़ों को देखा जा सकता है जहाँ इसके मामले आए हैं। इन देशों में सबसे ज़्यादा प्रभावित तो चीन है। चूँकि, चीन के आधिकारिक आँकड़े पर सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि वहाँ स्थिति बेहद ख़राब है। पिछले कुछ महीनों से चीन में मामले बढ़ने शुरू हुए तो सरकार ने सख्त लॉकडाउन व अन्य पाबंदियाँ लगाईं। लेकिन जैसे ही इसने उसमें ढील दी, ज़ीरो कोविड नीति में ढील दी तो संक्रमण बेतहाशा बढ़ा। अस्पताल मरीजों से अटे पड़े हैं और श्मशान और कब्रिस्तान में शवों की तादाद काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई है।
चीन में कोरोना का मौजूदा कहर कब तक रहेगा, इसका अनुमान महामारी विज्ञानियों ने लगाया है। उन्होंने सर्दियों के दौरान देश में वायरस की कम से कम तीन लहरों का अनुमान लगाया है। वह भी तीन महीने के अंदर। यानी अभी से लेकर मार्च तक चीन एक के बाद एक तीन लहरों का सामना कर सकता है।
हाल ही में महामारी विशेषज्ञ एरिक फीगल-डिंग ने कहा है कि चीन में अस्पताल पूरी तरह से चरमरा गए हैं और अगले 90 दिनों में चीन की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी के संक्रमित होने और लाखों लोगों की मौत होने की आशंका है। इसके अलावा, लंदन स्थित ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स फर्म ने कहा है कि अगर चीन अपनी ज़ीरो कोविड नीति को हटाता है तो 13 लाख से 21 लाख लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है।
अमेरिका में हर रोज़ क़रीब 25 हज़ार पॉजिटिव केस आ रहे हैं और 300 मौतें हो रही हैं। फ्रांस में एक दिन पहले 71 हज़ार केस, जर्मनी में 52 हज़ार, दक्षिण कोरिया में 52 हज़ार और जापान में 1 लाख 85 हज़ार केस आ रहे हैं। मौत के आँकड़े भी इन देशों में ढाई सौ तक हर रोज़ आ रहे हैं।
बीएफ़ 7 वैरिएंट क्या है?
कोरोना एक वायरस है। वायरस यानी ऐसी चीज जो न तो जीवित है और न ही मृत। जब यह किसी जीव के संपर्क में आता है तो सक्रिय हो जाता है। यानी बिना किसी जीव के संपर्क में आए यह एक मुर्दे के समान है और यह ख़ुद को नहीं बढ़ा सकता है। जब वायरस किसी जीव में या यूँ कह लें कि इंसान के संपर्क में आता है तो यह सक्रिए हो जाता है। फिर यह ख़ुद की कॉपी यानी नकल कर संख्या बढ़ाना शुरू कर देता है। नकल करने की इस प्रक्रिया में वायरस हमेशा बिल्कुल पहले की तरह अपनी नकल नहीं कर पाता है और कई बार उस प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ियाँ रह जाती हैं। उन कुछ वायरसों में ऐसी गड़बड़ियाँ होने के आसार बहुत कम होते हैं जिनमें अंदुरुनी मेकनिज़्म मज़बूत होते हैं। लेकिन RNA वाले वायरस में ऐसा मेकनिज़्म नहीं होता है और इस कारण नये क़िस्म का वायरस बन जाता है। यानी वायरस ख़ुद को म्यूटेट कर लेता है। इसका मतलब है कि वायरस पहले की अपनी विशेषता में बदलाव कर लेता है। कोरोना वायरस भी RNA वायरस है।
जब वायरस म्यूटेट करता है तो वे वंशावली और उप-वंश बनाते हैं - जैसे SARS-CoV-2 से डेल्टा, गामा, ओमिक्रॉन जैसी कई शाखाओं के रूप में वंशावली सामने आई। इन वंशावली के ही अब कई उप-वंश सामने आए हैं। बीएफ़ 7 (BF.7) भी BA.5.2.1.7 के समान ही है। BA.5.2.1.7 भी ओमिक्रॉन के एक उप-वंश BA.5 से ही निकला है।
बीएफ़.7 कितना संक्रामक?
बीएफ़.7 बहुत ज़्यादा संक्रामक है, इसका इनक्यूबेशन पीरिएड कम है और इसमें उन लोगों को भी संक्रमित करने की उच्च क्षमता होती है, जिन्हें टीका लगा हुआ हो। बीएफ़ 7 सब-वैरिएंट में मूल वैरिएंट की तुलना में 4.4 गुना अधिक प्रतिरोध क्षमता है। इसका मतलब है कि टीका लगाए व्यक्ति या संक्रमित व्यक्ति के एंटीबॉडी से बीएफ़ 7 को ख़त्म करने की संभावना कम रहती है।
इसी बीएफ़ 7 सब-वैरिएंट से चीन में संक्रमण के मामले ज़्यादा आ रहे हैं। चीन सहित दुनिया के कई देशों में कोविड संक्रमण के मामलों में उछाल के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने आज एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की।
बैठक में अधिकारियों से सतर्क रहने और मामलों पर नज़र रखने के लिए कहा गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने साफ़ तौर पर कहा है कि अभी भी कोरोना ख़त्म नहीं हुआ है। इसके साथ ही भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क के इस्तेमाल की सलाह दी गई है।
In view of the rising cases of #Covid19 in some countries, reviewed the situation with experts and officials today.
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) December 21, 2022
COVID is not over yet. I have directed all concerned to be alert and strengthen surveillance.
We are prepared to manage any situation. pic.twitter.com/DNEj2PmE2W
केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण को लेकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ख़त लिखने के बाद बुधवार को बैठक बुलाई थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को जो ख़त लिखा है उसमें उसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कई क़दम उठाने के लिए कहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को INSACOG नेटवर्क के माध्यम से कोरोना वायरस वैरिएंट को ट्रैक करने और पॉजिटिव मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग को बढ़ाने के लिए ख़त लिखा है।
जीनोम सिक्वेंसिंग क्या है?
आसान भाषा में कहें तो जीनोम सिक्वेंसिंग संबंधित वायरस का बायोडाटा बनाने की प्रक्रिया है। यानी वायरस की हर वो जानकारी जुटाना जो ज्ञात हो। इसकी जानकारी जुटाने के लिए जो विधि अपनाई जाती है उसे जीनोम सिक्वेंसिंग कहते हैं। इसमें यह जानकारी पता चलती है कि कैसा वायरस है, किस प्रकार का है, कोई नया स्ट्रेन तो नहीं पैदा हुआ है।
जीनोम सिक्वेंसिंग से यह पता चलता है कि कोरोना वायरस का कौन सा वैरिएंट यानी रूप ज़्यादा तेज़ी से फैल रहा है, कोई नया वैरिएंट तो नहीं आया है और उससे कैसे निपटा जा सकता है।
INSACOG कोरोना वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए 50 से अधिक प्रयोगशालाओं का एक संघ है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने मंगलवार को सभी राज्यों को लिखे पत्र में कहा है, 'जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, कोरिया, ब्राजील और चीन में मामलों की अचानक तेजी को देखते हुए पॉजिटिव मामले के नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए तैयार रहना ज़रूरी है ताकि... INSACOG के माध्यम से वैरिएंट को ट्रैक किया जा सके।'
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