कोरोना को रोकने का सरकारी प्रयास किस स्तर का है? इसका अंदाज़ा इन आँकड़ों से आप ख़ुद ही लगाइए। सबसे ज़्यादा पॉजिटिविटी रेट वाले 306 ज़िलों में कोरोना संक्रमण की स्थिति ख़तरनाक स्तर की है, लेकिन इनमें से अधिकतर ज़िलों में कोरोना वैक्सीनेशन धीमा पड़ गया है। यानी उन ज़िलों में कोरोना टीकाकरण में पहले की अपेक्षा गिरावट आई है। वह भी तब जब भारत में मुख्य तौर पर दो स्तरीय रणनीति अपनाई गई है। एक तो है कर्फ्यू या लॉकडाउन जैसी सख्ती और दूसरा तेज़ी से टीकाकरण अभियान चलाना ताकि संक्रमण फैलने की कड़ी को तोड़ा जा सके। लेकिन हालात ये हैं कि सख़्ती तो अपनाई जा रही है लेकिन अधिकतर ज़िलों में टीकाकरण कमजोर पड़ता दिख रहा है। ऐसे में आश्चर्य नहीं कि संक्रमण के हालात ठीक नहीं हैं।
जहाँ तेज़ी से संक्रमण वहाँ टीकाकरण कम, ऐसे कैसे निपटेंगे कोरोना से?
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- 11 May, 2021
कोरोना को रोकने का सरकारी प्रयास किस स्तर का है? सबसे ज़्यादा प्रभावित 306 ज़िलों में संक्रमण की स्थिति ख़तरनाक स्तर की है, लेकिन इनमें से अधिकतर ज़िलों में कोरोना वैक्सीनेशन धीमा पड़ गया है।

वैसे, सरकार की कोरोना टीकाकरण नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कंपनियों द्वारा कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग क़ीमतें तय करने में ही नहीं, बल्कि पूरी प्रक्रिया पर ही। यह तब से हो रहा है जब एक मई को 18 वर्ष से ज़्यादा के लोगों के लिए टीकाकरण कराने की घोषणा की गई है। केंद्र सरकार ने नीति बनाई है कि 50 फ़ीसदी टीकों में से वह राज्यों में बाँटेगी और बाक़ी के 50 फ़ीसदी टीकों में से राज्य अपने स्तर पर बाज़ार से ख़रीदेंगे। यहीं पर कुछ हद तक दिक्कत भी आ रही है।