कोरोना वायरस से बचें या भूखे मरने की नौबत आने से? लॉकडाउन के बाद यही डर शहरों में फँसे हज़ारों मज़दूरों के दिल और दिमाग़ में है। यही उलझन उन्हें जैसे-तैसे घर भागने पर मजबूर कर रही है। कोई वाहन नहीं है तो पैदल ही। 5-10 किलोमीटर तक ही नहीं, 600-700 किलोमीटर की दूरी भी। युवा मज़दूर हैं। अपेक्षाकृत उम्रदराज भी हैं और गर्भवती महिला भी। वह महिला जिसे डॉक्टर आराम करने और ज़्यादा नहीं चलने की नसीहतें देते हैं। लेकिन क्या करें। जान पर आफत जो आई है। शायद उनके सामने एक चुनौती है। एक रास्ता चुनने की। किससे बचें? कौन ज़्यादा ख़तरनाक है और कौन कम? क्या यह पढ़ते हुए आपकी रूह काँप रही है? उन तसवीरों और वीडियो को देखिए जिसमें हज़ारों लोग हाईवे पर पैदल जाते दिख रहे हैं। उनकी बातें सुनिए। यह कैसी व्यवस्था हो गई है? क्या कोरोना से लड़ने के लिए ऐसी तैयारी की गई?