महात्मा गाँधी की हत्या में अभियुक्त बनाए गए और गिरफ़्तार हुए विनायक दामोदर सावरकर की तारीफ कर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि सावरकर 'एक योग्य व्यक्ति' थे। सिंघवी के अनुसार सावरकर ने 'आज़ादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया था, दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी थी और देश के लिए जेल गए थे।'
सिंघवी ने कहा, 'मैं निजी तौर पर सावरकर की विचारधारा से सहमत नहीं हूँ, पर इससे इस सत्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि वह एक योग्य व्यक्ति (एंकम्प्लीस्ड मैन) थे।'
कांग्रेस के इस नेता का यह बयान ऐसे समय आया है जब महाराष्ट्र बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणापत्र में कहा कि वह सत्ता मे आने पर सावरकर को भारत रत्न देने की सिफ़ारिश केंद्र सरकार से करेगी। चुनाव पूर्ण सर्वेक्षणों में यह पाया गया है कि महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव बीजेपी-शिवसेना गठजोड़ जीत सकता है।
सावरकर को भारत रत्न देने की बात महाराष्ट्र बीजेपी के घोषणापत्र में शामिल किए जाने पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने तंज करते हुए पूछा था, 'सावरकर को भारत रत्न तो नाथूराम गोडसे को क्यों नहीं?'
सावरकर को भारत रत्न देने के मुद्दे पर देश में ज़ोरदार बहस चल रही है। कुछ लोग आज़ादी की लड़ाई में सावरकर के योगदान की चर्चा करते हुए कहते हैं कि इसी मामले में सावरकर को 'काला पानी' की सज़ा हुई थी और वह अंडमान के सेल्युलर जेल में बंद थे। लेकिन दूसरे लोग यह सवाल उठाते हैं कि सावरकर वाकई स्वतंत्रता सेनानी थे तो उन्होंने अंग्रेज़ों से माफ़ी क्यों माँगी और जेल से छूटने के बाद अंग्रेजों से पेंशन क्यों लेते रहे?
सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि यह वही सावरकर हैं, जिन्हें महात्मा गाँधी की हत्या के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था, उन पर मुक़दमा चला था। वह तक़नीकी आधार पर ही छूटे थे।
लेकिन बाद में इस मुद्दे पर काफी विवाद हुआ था और मामले की जाँच के लिए कपूर आयोग का गठन किया गया था। उस आयोग ने गाँधी की हत्या में सावरकर को दोषी पाया था। लेकिन तब तक सावरकर की मौत हो चुकी थी। लिहाज़ा, उन्हें सज़ा नहीं दी गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान यह मुद्दा ज़ोरों से उठाया था। उन्होंने सावरकर की ज़बरदस्त तारीफ की थी और उनका बचाव किया था। उन्होंने कहा था :
“
राष्ट्रवाद को हमने राष्ट्र निर्माण के मूल में रखा, ये सावरकर के संस्कार हैं। विरोधी दलों ने दशकों तक सावरकर को भारत रत्न से वंचित रखा है और उन को गालियाँ दे रहे हैं।
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
इसके बाद कांग्रेस पार्टी यकायक इस मुद्दे पर एक कदम पीछे हट गई।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि कांग्रेस सावरकर विरोधी नहीं है लेकिन हम उनकी हिंदुत्व की विचारधारा से सहमत नहीं हैं। उन्होंने यह सफ़ाई भी दी है कि जब इंदिरा गाँधी देश की प्रधानमंत्री थीं तब उन्होंने सावरकर पर डाक टिकट जारी किया था।
सवाल यह है कि क्या कांग्रेस इस मुद्दे पर किसी तरह की उलझन में है? वह क्यों एक साफ़ लाइन नहीं ले पा रही है? क्या वह सॉफ़्ट हिन्दुत्व की लाइन ले रही है ताकि बीजेपी की धार को कुंद कर सके?
इसके पहले लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गाँधी मंदिर-मंदिर जा कर पूजा अर्चना कर रहे थे। वे एक मंदिर गए तो जनेऊ दिखाया और कहा कि वह ब्राह्मण हैं। क्या कांग्रेस ऐसी ही कोई चाल चल रही है?
लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि आम जनता ने कांग्रेस की इस नीति को खारिज कर दिया। चुनावों में वह बुरी तरह हारी। कांग्रेस को इस मुद्दे पर एक साफ़ नीति अपनानी ही होगी, ताकि कार्यकर्ता भी ऊहापोह में न रहें।
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