कांग्रेस ने अमेरिका के साथ हुए ड्रोन समझौते को लेकर आज बुधवार को कई सवाल उठाए और केंद्र की मोदी सरकार से उनके जवाब मांगे। प्रधानमंत्री मोदी की हालिया अमेरिका दौरे के समय 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन खरीदने पर समझौता हुआ था। कांग्रेस का कहना है कि राफेल लड़ाकू विमान की तरह इस ड्रोन का सौदा भी भारत के लिए महंगा है।
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अब एक नई फिल्म बन रही है- "हम आपके हैं ड्रोन", जिसके हीरो हैं नरेंद्र मोदी। आखिर कौन हैं वो ड्रोनाचार्य, जो इस फिल्म का निर्देशन कर रहा है?
- पवन खेड़ा, कांग्रेस प्रवक्ता, 28 जून 2023 सोर्सः कांग्रेस प्रेस कॉन्फ्रेंस
कांग्रेस ने 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन खरीदने के लिए 3 बिलियन डॉलर (25,200 करोड़)के सौदे पर सरकार से पारदर्शिता की मांग की। कांग्रेस का दावा है कि यह अन्य देशों की तुलना में चार गुना अधिक है।
कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि: “अमेरिका की अपनी राजकीय यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। हमें डर है कि राफेल सौदे के साथ जो हुआ वह प्रीडेटर समझौते के साथ दोहराया जा रहा है।''
प्रिडेटर ड्रोन की कीमत पर सवाल उठाते हुए खेड़ा ने कहा, 'दूसरे देश जो चार गुना से भी कम दाम पर खरीद रहे हैं, भारत 3 अरब डॉलर में 31 प्रिडेटर ड्रोन खरीद रहा है।' उन्होंने कहा कि भारी कीमत के लिए, रक्षा मंत्रालय को एक आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इसे रिकॉर्ड पर स्पष्ट करना पड़ा। खेड़ा ने कहा-
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देश के 'जिम्मेदार लोगों को इस प्रक्रिया पर जवाब चाहिए।'' उन्होंने कहा कि ये ड्रोन पुरानी तकनीक के हैं और चार गुना अधिक कीमत पर खरीदे जा रहे हैं। जबकि डीआरडीओ में घातक श्रृंखला के ड्रोन बनाने के लिए 1,500 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए हैं।
- पवन खेड़ा, कांग्रेस प्रवक्ता, 28 जून 2023 सोर्सः कांग्रेस प्रेस कॉन्फ्रेंस
उन्होंने सवाल किया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने, जैसा कि कई समाचार आउटलेट्स द्वारा रिपोर्ट किया गया है, सहयोग से 100 प्रतिशत विनिर्माण मार्ग के माध्यम से भारत में एफ-414 जेट इंजन के निर्माण के लिए एचएएल के साथ जनरल इलेक्ट्रिक को मंजूरी क्यों नहीं दी गई है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि सीसीएस की ओर से अमेरिका के साथ 3 अरब डॉलर के ड्रोन सौदे को कोई हरी झंडी नहीं दी गई। जबकि सीसीएस से अनुमति लेनी चाहिए थी।
कांग्रेस ने सरकार से पूछा कि प्रीडेटर ड्रोन खरीद पर निर्णय लेने के लिए सीसीएस की बैठक क्यों नहीं की गई और इन ड्रोनों के लिए अधिक कीमतें क्यों चुकाई जा रही हैं।
खेड़ा ने पूछा कि जब भारतीय वायु सेना (आईएएफ) को ऊंची कीमतों से परेशानी हो रही है तो अमेरिका के साथ ड्रोन सौदे की क्या जल्दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि वायुसेना को सिर्फ 18 ड्रोन की जरूरत है तो फिर सरकार ने 31 ड्रोन का सौदा क्यों किया है।
कांग्रेस नेता ने यह भी सवाल किया कि जीई एटॉमिक के सीईओ का सरकार में बैठे लोगों के साथ क्या संबंध है।
खेड़ा ने कहा कि “ड्रोन सौदे में पूरी पारदर्शिता लाई जानी चाहिए। क्योंकि मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए जानी जाती है।”
उधर, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी ट्विटर पर लिखा, "एक बार फिर केंद्र में प्रधानमंत्री के साथ स्वदेशी प्रयासों को कमजोर करने वाला एक संदिग्ध रक्षा सौदा सामने आया है।"
रमेश ने खेड़ा द्वारा पूछे गए छह सवालों का समर्थन किया और कहा, "25,200 करोड़ रुपये के 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन की खरीद पर हमारा बयान और मोदी सरकार से 6 विशिष्ट सवाल।"
- ड्रोन सौदे को मंजूरी देने के लिए Cabinet Committee on Security (CCS) की बैठक क्यों नहीं हुई?
- भारत दूसरे देशों की तुलना में ड्रोन के लिए ज्यादा कीमत क्यों चुका रहा है?
- जब वायुसेना को इन ड्रोन की आसमान छूती कीमतों पर आपत्ति थी, तो डील करने की इतनी जल्दी क्या थी? जबकि वायुसेना ने सिर्फ 18 ड्रोन की मांग की थी और उन्हें 31 ड्रोन दिए जा रहे हैं।
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