राष्ट्रपति ट्रंप के आगमन पर 100 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। लेकिन ये पैसा एक समिति के जरिए खर्च हो रहा है। समिति के सदस्यों को पता ही नहीं कि वो उसके सदस्य हैं। क्या देश को ये जानने का हक नहीं कि किस मंत्रालय ने समिति को कितना पैसा दिया? समिति की आड़ में सरकार क्या छिपा रही है? pic.twitter.com/1B0Y7oKIV3
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) February 22, 2020
क्या कहना है विदेश मंत्रालय का?
ये सवाल इसलिए भी अहम है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत आगमन और उनके स्वागत पर कई सवाल खड़े होते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के बयान से ही विवाद की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि अमदाबाद में ट्रंप के स्वागत का आयोजन 'डोनल्ड ट्रम्प नागरिक अभिनंदन समिति' कर रही है। इसके साथ ही कई सवाल खड़े हो गए।सवाल यह है कि इस समिति का गठन किसने किया और कौन लोग इसके पीछे हैं? ट्रंप के स्वागत में जो करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं, क्या इस समिति ने ही वह पैसा जुटाया है या सरकार ने उसे वह पैसा दिया है? सरकार किसी निजी संस्था को इस तरह करोड़ों रुपए कैसे दे सकती है?
अभिनंदन समिति
समिति ने नमस्तेप्रेसीडेंटट्रंप डॉट इन (namastepresidenttrump.in) वेबसाइट पर इस यात्रा से जुड़ी जानकारियाँ डाली हैं। पर दिलचस्प बात यह है कि गुजरात सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के पास इसकी कॉपीराइट है, यानी उसने यह वेबसाइट बनाई है।आरटीआई अर्जी
आरटीआई एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने नमस्ते ट्रंप के बारे में जानकारी माँगते हुए विदेश मंत्रालय को एक अर्जी दी है। उन्होंने विदेश मंत्रालय के चीफ़ पब्लिक इनफ़ॉर्मेशन अफ़सर से पूछा है कि :- क्या नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आयोजन कोई निजी संस्था कर रही है?
- उन्होंने पूछा कि क्या इसके लिए डोनल्ड ट्रंप नागरिक अभिन्दन समिति ने विदेश मंत्रालय से अनुमति ली है।
- गोखले ने इस समिति के सदस्यों के नाम भी पूछे हैं।
- उन्होंने यह भी कहा है कि नागरिक अभिनंदन पर प्रधानमंत्री कार्यालय और अमेरिकी प्रशासन के साथ समिति के पत्र-व्यवहार की चिट्ठियों की कॉपी उन्हें दी जाए।
अपनी राय बतायें