जिन लोगों ने पार्टी अध्यक्ष पद के मुद्दे पर कोई एक फ़ैसला लेने की मांग करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी, वे बिल्कुल अलग-थलग पड़ चुके हैं। उनकी संख्या बहुत ही कम है, उनका विरोध करने वाली लॉबी बहुत ही मजबूत है और बड़ी है, ऐसा मान कर उन्होंने फ़िलहाल चुप बैठे रहना ही बेहतर समझा है।