पिछले हफ़्ते ही बॉम्बे हाई कोर्ट का विदेशी तब्लीग़ियों के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद अब दिल्ली की एक अदालत ने तब्लीग़ी जमात के आठ सदस्यों को रिहा करते हुए कहा है कि इनके ख़िलाफ़ 'प्रथम दृष्टया कोई भी सबूत नहीं' है। इस बीच मुंबई पुलिस ने भी सबूतों के अभाव में दिल्ली में तब्लीग़ी जमात कार्यक्रम में भाग लेने आए इंडोनेशिया के 12 नागरिकों के ख़िलाफ़ ग़ैर-इरादतन हत्या के अभियोग को हटा लिया है। कई दूसरे मामलों में भी सबूत नहीं होने की बात कही गई है। इससे सवाल उठता है कि क्या पुलिस ने आँख बंद कर बिना सबूत के ही इन तब्लीग़ियों के ख़िलाफ़ अनाप-शनाप केस दर्ज कर लिए थे। क्या पुलिस ऐसे केस दर्ज कर 'भीड़' की फ़ेक न्यूज़, सोशल मीडिया पर नफ़रत फैलाने वाले अभियान का हिस्सा बन गयी थी? आख़िर बॉम्बे हाई कोर्ट को क्यों कहना पड़ा कि तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम में शिरकत करने विदेश से आए लोगों को कोरोना संक्रमण फैलने के मामले में 'बलि का बकरा’ बनाया गया?
पुलिस बिना सबूत के ही तब्लीग़ियों पर केस क्यों दर्ज कर रही थी?
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- 25 Aug, 2020
पिछले हफ़्ते ही बॉम्बे हाई कोर्ट का विदेशी तब्लीग़ियों के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद अब दिल्ली की एक अदालत ने तब्लीग़ी जमात के आठ सदस्यों को रिहा करते हुए कहा है कि इनके ख़िलाफ़ 'प्रथम दृष्टया कोई भी सबूत नहीं' है।
