सिविल सोसाइटी के 204 सदस्यों ने देश की जनता से भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ने की अपील की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में यह यात्रा बुधवार 7 सितंबर से शुरू होने जा रही है। सिविल सोसाइटी के लोगों का कहना है कि भारत के लोकतंत्र को खतरा है, भारत के विचार को खतरा है। इसलिए कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा बहुत महत्वपूर्ण समय में निकल रही है।
सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने अपनी अपील में कहा कि हमारे गणतंत्र के मूल्यों पर पहले कभी भी इतना जघन्य हमला नहीं हुआ जितना कि हाल के दिनों में हुआ है। इससे पहले कभी भी समुदायों में नफरत, विभाजन और किसी को हाशिए पर ढकेलने की कोशिशें इतनी बेरहमी से नहीं की गईं। इससे पहले कभी भी किसानों, मजदूरों, दलितों और आदिवासियों, महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों को इस तरह के गंभीर राष्ट्रीय संकट का सामना नहीं करना पड़ा। यह निर्णायक क्षण है। हमें फैसला लेना है।
नागरिक समाज के सदस्यों ने कहा, हम में से हर को यह कहने की जरूरत है: नहीं, हमारी आड़ में यह सब नहीं। हमारा बेजोड़ मिला-जुला सामाजिक ताना-बाना दांव पर लगा हुआ है। यह हमारी बहुत बड़ी विरासत है, जो हमारे संविधान के नजरिए से भी स्पष्ट है।
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आइए हम सभी भारत जोड़ो यात्रा के जरिए एक ऐसे भारत को फिर से पाने की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ाएं जो आजादी, समानता, इंसाफ और भाईचारे के साथ एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य है।
- सिविल सोसाइटी, भारत जोड़ो यात्रा के लिए अपील
इस अपील पर 204 हस्ताक्षर करने वालों में स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव, डॉक्युमेंट्री फिल्म निर्माता आनंद पटवर्धन, ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट के अनिल सदगोपाल, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज, थिएटर से जुड़ी अनुराधा कपूर, प्रख्यात पत्रकार मृणाल पांडे, पूर्व सांसद धर्मवीर गांधी, पूर्व आईएएस अधिकारी अभिजीत सेनगुप्ता और सुजाता राव शामिल हैं।
यह पदयात्रा 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करने जा रही है। यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर तक जाएगी जो लगभग 3,500 किमी लंबी होगी और लगभग 150 दिनों में पूरी होगी। यात्रा तमिलनाडु में 7 से 10 सितंबर तक चार दिनों तक चलेगी। अगले दिन से यह यात्रा पड़ोसी राज्य केरल में शुरू हो जाएगी। हालांकि इसकी शुरुआत हो चुकी है लेकिन विधिवत शुरुआत 8 सितंबर से होगी।
सिविल सोसाइटी की जरूरत क्योंः कांग्रेस एक बड़ी पार्टी है। उसके पास बड़ा संगठन भी है। वो चाहती तो इस यात्रा को अपने दम पर पूरा कर सकती थी। लेकिन सिविल सोसाइटी को जोड़कर उसने समझदारी का परिचय दिया है। क्योंकि यही सिविस सोसाइटी जनता में राय कायम करेगी।
सिविल सोसाइटी के महत्वपूर्ण एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने इस यात्रा में शामिल होकर चौंका दिया है। उनका कहना है कि इस बात पर आम सहमति है कि हम इस (कांग्रेस की) भारत जोड़ो यात्रा का स्वागत करते हैं क्योंकि यह समय की आवश्यकता है जिस पर हम लोग सहमत हुए हैं। सिविल सोसाइटी की सहभागिता कई रूपों में होगी। ... रूप अलग-अलग होंगे लेकिन हम लोग इस यात्रा में शामिल होने के लिए सहमत हैं।
यही सिविल सोसाइटी थी, जिसने करप्शन के खिलाफ अन्ना आंदोलन को खड़ा किया था। उस आंदोलन से आम आदमी पार्टी निकली और केजरीवाल निकले और दिल्ली में सरकार बना ली। उसके बाद उन्होंने पंजाब में सरकार बनाई। कई राज्यों में वो बड़ी महत्वाकांक्षा के साथ आगे बढ़ रही है। आम आदमी पार्टी जिस मकसद के लिए बनी थी, अन्ना का आंदोलन जिस मकसद के लिए शुरू हुआ था, वो सारे जुमले अब हवा हवाई हो गए।
सिविल सोसाइटी ने अब बीजेपी के हिन्दुत्व के एजेंडे के विरोध में कांग्रेस के साथ चलने का फैसला किया है। सिविल सोसाइटी के एजेंडे पर बीजेपी-आरएसएस के सिद्धांतों का विरोध हमेशा रहा है। उसके ज्यादातर सदस्य शहीदे आजम भगत सिंह के सिद्धांतों को मानते हैं। कांग्रेस को भी इससे परहेज नहीं है। कांग्रेस के पास खुद का बड़ा संगठन है और नफरत के खिलाफ भारत जोड़ो यात्रा का बड़ा आयोजन उसके बूते की बात है।
सिविल सोसाइटी नफरत के खिलाफ हर जगह अपने आंदोलन को नहीं ले जा सकती। इसलिए उसने बहुत रणनीतिक तरीके से कांग्रेस के साथ चलने का फैसला किया। सिविल सोसाइटी के लोगों का मानना है कि कांग्रेस की राजनीति अपनी जगह है, लेकिन इस समय देश में नफरत का जो माहौल बीजेपी-आरएसएस ने बना दिया है, उसे चुनौती देने की जरूरत है। सिविल सोसाइटी इस यात्रा में अपने इसी मंसूबे को पूरा करेगी।
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