ऐसे समय जब कई दौर की बातचीत के बावजूद भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बरक़रार है और चीन ने अब तक अपनी सेना वापस नहीं बुलाई है, भारत और अमेरिका के रिश्तों में पहले से अधिक नज़दीकी आई है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिकी संसद में पक्ष-विपक्ष यानी डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों ही दलों के सदस्यों ने इस अधिनियम का समर्थन किया। दरअसल, कांग्रेस ने 750 अरब डॉलर के खर्च से जुड़े अमेरिकी सुरक्षा विधेयक पर राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के वीटो को ज़बरदस्त बहुमत से खारिज कर दिया।
क्या है एनडीएए?
इससे एनडीएए, 2021, के अधिनियम बनने का रास्ता साफ हो गया। इस अधिनियम में ही भारत-चीन तनाव, वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर चीनी घुसपैठ की चर्चा की गई है, पीपल्स लिबेरशन आर्मी के भारत में घुस आने को सैन्य आक्रमण बताया गया है और चीन से कहा गया है कि वहे इसे ख़त्म करे।
याद दिला दें कि मई 2020 में पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक लद्दाख में एलएसी पार कर भारतीय सीमा में घुस आए, उसे अपना इलाक़ा बताते हुए वहाँ से वापस जाने से इनकार कर दिया और अब तक वहीं जमे हुए हैं। दोनों देशों के बीच सैन्य, राजनीतिक व कूटनीतिक स्तर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन चीन ने अपनी सेना को अब तक वापस नहीं बुलाया है।
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चीनी घुसपैठ
डोनल्ड ट्रंप ने 23 दिसंबर को एनडीएए को वीटो कर दिया, यानी राष्ट्रपति को मिले विशेष अधिकार के तहत इसे खारिज कर दिया। उनका तर्क था कि इससे अमेरिकी सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा हो जाएगा। लेकिन इसके बाद कांग्रेस की बैठक में संयुक्त प्रस्ताव रख कर बहुमत से वीटो को खारिज कर दिया गया।
भारतीय मूल के कांग्रेस सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने कहा, "सेनेट में हुए मतदान से एनडीएए अधिनियम बन गया, इसमें मेरा वह प्रस्ताव भी शामिल है, जिसमें यह कहा गया है कि चीन भारत में सन्य आक्रमण को ख़त्म करे।"
राजा कृष्णमूर्ति ने कहा,
“
"वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार भारत में और एशिया-प्रशांत के दूसरे हिस्सों में चीन का सैन्य आक्रमण अस्वीकार्य है, इस क़ानून के पारित होने से भारत और दूसरे साझेदार देशों के प्रति समर्थन साफ हो गया।"
राजा कृष्णमूर्ति, सदस्य, अमेरिकी कांग्रेस
क्या कहा अमेरिका ने?
एनडीएए में यह भी कहा गया है कि "चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने में भारत का साथ दे और कूटनीतिक माध्यमों का इस्तेमाल करे। दक्षिण चीन सागर और उस इलाक़े की दूसरी जगहों पर चीन का अनुचित दावा अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुकूल नहीं है।"
बता दें कि इसके पहले अक्टूबर में भारत और अमेरिका ने एक बहुत ही अहम रक्षा सहयोग समझौते पर दस्तख़त किए थे। इससे दोनों देशों की ख़ुफ़िया एजेंसियों के बीच सहयोग ही नहीं बढ़ेगा, बल्कि वायु सेना और नौसेना भी एक दूसरे को सहयोग करेंगी। इस क़रार के बाद अमेरिका से भारत के रिश्ते निकट के सहयोगी (क्लोज़ अलाई) के हो जाएंगे। इस समझौते के बाद नैटो सदस्यों को अमेरिका जिस तरह की मदद करता है, उससे कुछ कम ही सहयोग वह भारत को कर सकेगा।
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भारत- अमेरिका क़रार
दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच बातचीत के बाद बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए यानी बेका) पर दस्तख़त हो गए। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने एस. जयशंकर और राजनाथ सिंह से बात की है।
इसे ‘टू प्लस टू’ बातचीत कहा जाता है, यानी दो देशों के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने बातचीत की। यह ‘टू प्लस टू’ की तीसरी बातचीत है। इसके पहले यह बातचीत दो बार यानी 2018 और 2019 में हो चुकी है और लगभग इसी समय हुई है।
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