भारत में तवांग झड़प को लेकर जब सियासत चल रही थी तो चीन इसी दौरान एक खास तैयारी में था! एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हाई-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह की तसवीरों में दिखता है कि तवांग झड़प के बाद चीन ने अपने एयरबेसों पर बड़ी संख्या में ड्रोन और लड़ाकू विमान तैनात कर लिए थे।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन के एयरबेसों की ये तसवीरें तब की हैं जब चीनी गतिविधि बढ़ने पर भारतीय वायु सेना ने अरुणाचल प्रदेश के आसमान पर लड़ाकू हवाई गश्त लगाई थी। पिछले कुछ हफ्तों में वायु सेना ने चीनी विमानों का पता लगाने के बाद कम से कम दो मौक़ों पर अपने लड़ाकू विमानों को उड़ाया है।
हाई-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह तसवीरों को लेकर एनडीटीवी ने मैक्सर की तसवीरों के हवाले से यह रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सिर्फ़ 150 किमी उत्तर पूर्व में स्थित चीन के बांगड़ा एयरबेस की एक तसवीर में अत्याधुनिक WZ-7 'सोअरिंग ड्रैगन' ड्रोन की मौजूदगी दिख रही है। सोअरिंग ड्रैगन का 2021 में पहली बार आधिकारिक तौर पर अनावरण किया गया था, जो 10 घंटे तक बिना रुके उड़ान भर सकता है। सोअरिंग ड्रैगन को खुफिया निगरानी और टोही मिशन के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह क्रूज मिसाइलों को लेकर भी जानकारी देता है।
सरकार ने ही 13 दिसंबर को संसद में बयान दिया कि तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि चीनी सैनिकों ने 9 दिसंबर को यांगस्ते इलाक़े (तवांग सेक्टर) में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की लेकिन हमारी सेना ने इसका दृढ़ता और बहादुरी से सामना किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हाथापाई भी हुई है और भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को हमारे क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोका और उनके इलाक़े में वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बांगडा की तसवीरें पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश में भारतीय वायु सेना के प्रमुख अभ्यासों के साथ मेल खाती हैं। ये तसवीरें युद्ध के अभ्यास की निगरानी करने, भारतीय वायुसेना की रणनीति का आकलन करने और भारतीय रडार और इलेक्ट्रॉनिक चीजों का पता लगाने के लिए चीनियों के प्रयास का संकेत देती हैं।
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हिंसक झड़पों के बीच चीनी सैन्य उड्डयन गतिविधि बढ़ गई है।
2020 में भारत के साथ सीमा पर तनाव शुरू होने के बाद से चीन सीमाई इलाकों में अपने हवाई ठिकानों को लड़ाकू, ट्रांसपोर्ट, ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसे उपकरणों से लैस कर रहा है। इसके साथ ही चीन बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने के लिए रेल लाइनों के निर्माण के साथ तिब्बत में जमीनी हवाई सुरक्षा, हेलीपोर्ट का व्यापक विकास कर रहा है।
अपनी राय बतायें