चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की मुश्किलें मोदी सरकार और बढ़ाने वाली है। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता भंग करने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को क्लीनचिट देने के मामले में आपत्ति की थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने 11 सरकारी कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे 2009 से 2013 के बीच अशोक लवासा के उन संबंधित कंपनियों में कार्यकाल में उनकी 'गड़बड़ियों' को ढूँढें।
'द इंडियन एक्सप्रेस' ने 29 अगस्त को जारी गोपनीय पत्र के आधार पर यह ख़बर दी है कि विद्युत सचिव की 'मंज़ूरी' के बाद इसे पीएसयू यानी सरकारी कंपनियों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों यानी सीवीओ को भेजा गया है। इसमें गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पहले से ही लवासा के परिवार के तीन लोगों के ख़िलाफ़ आयकर विभाग कार्रवाई कर रहा है। इनके परिवार की मुश्किलें तब से बढ़ गई हैं जब से उन्होंने चुनाव आयोग के फ़ैसलों में गड़बड़ियों को लेकर शिकायतें की हैं।
चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी लवासा ने लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को चिट्ठी लिख कर इस बात पर असंतोष जताया था कि आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों पर विचार करने वाली बैठकों में उनकी असहमतियों को दर्ज नहीं किया जाता है।
‘क्लीनचिट’ पर हुआ था विवाद
लवासा ने कहा था कि ‘अल्पसंख्यक विचार’ या ‘असहमति’ को दर्ज नहीं किए जाने की वजह से वह इन बैठकों से ख़ुद को दूर रखने पर मजबूर हैं। चिट्ठी आने के बाद काफ़ी विवाद हुआ था। चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को लगातार ‘क्लीन चिट’ मिलने के बाद विपक्षी दल भी हमलावर रहे थे। आयोग के इन फ़ैसलों की काफ़ी आलोचना हुई थी। यह बात भी चर्चा में रही थी कि मोदी और शाह को ‘क्लीन चिट’ चुनाव आयुक्तों की आम सहमति से नहीं दी गई थी और एक चुनाव आयुक्त की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए ऐसा किया गया था।
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ दो शिकायतें दर्ज कराई गई थीं। एक में कहा गया था कि मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि जो समुदाय पूरे देश में अल्पसंख्यक है लेकिन वायनाड में बहुसंख्यक है, राहुल गाँधी उस क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी शिकायत में कहा गया था कि मोदी ने पहली बार वोट डालने वालों से कहा था कि उनका वोट बालाकोट में हमला करने वालों और पुलवामा में शहीद होने वालों के लिए समर्पित होगा या नहीं। लेकिन इन दोनों ही मामलों में मोदी को क्लीन चिट दी गई थी।
लवासा ने सवाल उठाया था कि आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में उनकी असहमति को क्यों नहीं शामिल किया गया।
तब मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, लवासा चाहते थे कि मोदी को चिट्ठी लिख कर उनका जवाब माँगा जाए और उसके बाद ही कोई फ़ैसला लिया जाए। लेकिन रिपोर्टों के अनुसार उनकी सलाह को दरकिनार कर सीधे फ़ैसला ले लिया गया और मोदी को निर्दोष क़रार दिया गया।
क्या है गोपनीय पत्र में?
अब जो नया मामला लवासा के ख़िलाफ़ आया है उसे भी उस मामले से जोड़कर देखा जा रहा है। यही कारण है कि उनके ख़िलाफ़ ऐसी खोजबीन की जा रही है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार,' गोपनीय पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि आईएएस अशोक लवासा ने सितंबर 2009 से दिसंबर 2013 तक विद्युत मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान जेएस/अतिरिक्त सचिव/विशेष सचिव के रूप में अपने आधिकारिक पद का इस्तेमाल करते हुए कुछ कंपनियों/सहयोगी कंपनियों को लाभ पहुँचाने के लिए अनुचित प्रभाव डाला।'
बता दें कि अशोक लवासा की पत्नी, उनकी बहन और बेटे पहले से ही आयकर विभाग की जाँच के घेरे में हैं। अशोक लवासा की पत्नी नोवेल सिंघल लवासा कर चोरी के आरोपों में आयकर विभाग के रडार पर हैं और उन्हें विभाग की ओर से 10 कंपनियों में निदेशक होने के संबंध में दिये आयकर रिटर्न को लेकर नोटिस जारी किया गया है। बाद में पता चला कि लवासा की बहन शकुंतला लवासा को विभाग की ओर से नोटिस जारी किया गया था। शकुंतला लवासा बच्चों की चिकित्सक हैं।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, आयकर विभाग ने नॉरिश ऑर्गेनिक फ़ूड लिमिटेड की एकाउंट बुक का सर्वेक्षण किया है। लवासा के बेटे अबीर लवासा इस कंपनी के निदेशक हैं और कंपनी के शेयर में उनकी हिस्सेदारी है।
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