केंद्र सरकार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ट्विटर की चिंता को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि अपने व्यावसायिक फ़ायदे के लिए ट्विटर इस आज़ादी से खिलवाड़ कर रहा है।
बता दें कि गुरुवार को ट्विटर ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संभावित खतरा है और उसके कर्मचारियों को सेवा शर्तें और नियम-क़ानून लागू करने की वजह से डराया धमकाया जा रहा है।
इसके कुछ देर बाद ही केंद्र सरकार ने कहा, 'भारत में अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। यहाँ अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा करना केवल एक निजी व्यक्ति का विशेषाधिकार नहीं है। लाभ के लिए ट्विटर जैसी विदेशी संस्था इससे खिलवाड़ कर रही हैं।'
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सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने ट्विटर के बयान के बाद एक बयान जारी किया। सरकार ने इसमें कहा है कि ट्विटर का बयान दुनिया के सबसे बड़े लोगों पर अपनी शर्तें थोपने की कोशिश है।
कंपनी ने कहा है कि वह भारत के सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून 2021 के प्रावधानों को लागू करेगी।
कंपनी ने इस पर चिंता जताई है कि इस सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म पर जाने वाली तमाम सामग्रियों के लिए एक व्यक्ति चीफ़ कंप्लायंस अफ़सर को आपराधिक रूप से ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है।
मामला क्या है?
बता दें कि बीजेपी नेता संबित पात्रा के 'कांग्रेस टूलकिट' के ट्वीट को 'मैनिप्युलेटेड मीडिया' के रूप में टैग करने पर सोशल मीडिया साइट पर विवाद के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने नोटिस दिया था।
दिल्ली पुलिस की यह कार्रवाई तब हुई है जब केंद्र सरकार ने तीन दिन पहले ही ट्विटर से कहा था कि वह कांग्रेस की ओर से कथित रूप से जारी ‘टूलकिट’ को लेकर किए गए ट्वीट पर लगाए गए ‘मैनिप्युलेटेड मीडिया’ वाले टैग को हटा ले।
ट्विटर इंडिया की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'ट्विटर भारत के लोगों के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध है। हमारी सेवा सार्वजनिक बातचीत और कोरोना महामारी के दौरान लोगों के समर्थन के स्रोत के तौर पर महत्वपूर्ण साबित हुई है। अपनी सेवा उपलब्ध रखने के लिए, हम भारत में लागू कानून का पालन करने का प्रयास करेंगे।'
इस बयान में आगे कहा गया है, जैसा कि हम दुनिया भर में करते हैं, हम पारदर्शिता के सिद्धांतों और सेवा पर हर आवाज़ को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता और क़ानून के शासन के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता की रक्षा के लिए कड़ाई से निर्देशित होते रहेंगे।
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