ट्विटर और सरकार के बीच चली आ रही तनातनी अब लगता है ख़त्म हो गया है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि पिछले सप्ताह पूर्णकालिक मुख्य अनुपालन अधिकारी के साथ साथ रेजिडेंट ग्रीवांस अफसर और एक नोडल संपर्क अधिकारी नियुक्त किए जाने के बाद ट्विटर अब आईटी नियमों 2021 का अनुपालन कर रहा है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि बेहतर होगा कि हमारा हलफनामा ऑन रिकॉर्ड आ जाए। उन्होंने कहा कि ट्विटर आज क़ानून के अनुपालन में है। जस्टिस रेखा पल्ली ने इस मामले को अब 5 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए केंद्र को एक हलफनामा दायर करने को कहा है।
नए आईटी नियम के तहत जिन कंपनियों के यूजर्स की संख्या 50 लाख से ज़्यादा होगी, उन्हें ग्रीवांस अफ़सर नियुक्त करना होगा और उस अफ़सर का नाम, पता व फ़ोन नंबर साझा करना होगा। बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ़ कंप्लायंस अफ़सर, नोडल कंटैक्ट पर्सन और चीफ़ अफ़सर और रेज़िडेंट ग्रीवांस अफ़सर नियुक्त करना होगा।
फ़रवरी में नियमों की घोषणा के बाद पहली बार ट्विटर द्वारा नियुक्तियां की गई हैं। इसने पहले पदों को भरने के लिए अंतरिम व्यवस्था की थी और तीसरे पक्ष के ठेकेदार के माध्यम से अधिकारियों को लगाया था। नए आईटी नियम 25 मई को ही लागू हो चुके हैं।
पिछले हफ्ते ही ट्विटर ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया था कि उसने सभी पदों पर अफ़सरों की स्थायी तौर पर नियुक्ति कर दी है। हालांकि सुनवाई के दौरान अदालत ने ट्विटर के वकील से कहा कि कंपनी की ओर से अदालत में इस बारे में शपथ पत्र दाख़िल नहीं किया गया है और वह इसे रिकॉर्ड में लेकर आए। ट्विटर ने बताया कि 4 अगस्त को इन पदों पर नियुक्तियां कर दी गई हैं। इससे पिछली सुनवाइयों में दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्विटर के रूख़ पर नाराज़गी जताई थी।
ट्विटर ने अदालत को यह भी बताया था कि शाहीन कोमाथ को 4 अगस्त से नोडल संपर्क अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है और वह नियम 4 (1) (बी) के तहत अपेक्षित पद के कार्यों को करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
न्यायमूर्ति पल्ली ने 28 जुलाई को ट्विटर द्वारा दायर हलफनामे को खारिज कर दिया था और बेहतर हलफनामे दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था, जिसमें उस व्यक्ति का विवरण देने को कहा गया था जिसे मुख्य अनुपालन अधिकारी और रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर के रूप में नियुक्त किया गया हो।
इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कह दिया था कि जब तक ट्विटर नए आईटी नियमों को नहीं मानता है तब तक इसे क़ानूनी सुरक्षा नहीं मिलेगी।
यह क़ानूनी सुरक्षा हटने का ही नतीजा है कि सोशल मीडिया पर यूज़रों द्वारा कथित आपत्तिजनक पोस्टों के लिए ट्विटर के ख़िलाफ़ अब तक कम से कम 4 एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी हैं। जून के आखि़र में एफ़आईआर बच्चों से जुड़ी अश्लीलता को लेकर दर्ज़ की गई थी। यह एफ़आईआर पॉक्सो एक्ट और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत दर्ज़ की गई।
जून महीने की ही शुरुआत में ट्विटर के ख़िलाफ़ ग़ाज़ियाबाद में बुजुर्ग की पिटाई के मामले में भी एफ़आईआर दर्ज़ की गई थी और इसके इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी से लोनी थाने में पेश होने के लिए कहा गया था।
बाद में जम्मू और कश्मीर को देश के मैप से अलग दिखाने पर ट्विटर और ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की गई थी। इसी मामले में मध्य प्रदेश में भी माहेश्वरी के ख़िलाफ़ एक और एफ़आईआर दर्ज़ की गई।
ट्विटर नए आईटी नियमों को लेकर सरकार से भिड़ गया था। इसकी शुरुआत तब हुई जब कथित 'कांग्रेस टूलकिट' मामले में बीजेपी नेताओं के ट्वीट को ट्विटर ने 'मैनिपुलेटेड मीडिया' के रूप में टैग किया। इसके बाद सरकार और ट्विटर के बीच तनातनी बढ़ती गई।
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