अनुच्छेद 370 में फेरबदल और जम्मू-कश्मीर में पाबंदी लगाए जाने के पाँच महीने बाद अब पहली बार केंद्र सरकार के मंत्री राज्य का दौरा करेंगे। कहा जा रहा है कि इनका दौरा लोगों तक पहुँच बनाने, उन्हें राज्य को तोड़कर बनाए गए दो केंद्र शासित प्रदेश में विकास की पहल और केंद्र सरकार की योजनाओं की जानकारी देने के लिए तैयार किया गया है। यह पहली बार है कि केंद्र सरकार की ओर से इस स्तर पर विश्वास बहाली के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन क्या सच में इसका मक़सद यही है या कुछ और है? कहीं इसका मक़सद यह दिखाना तो नहीं है कि राज्य में सबकुछ सामान्य है? राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल कई बार जम्मू-कश्मीर की यात्रा कर चुके हैं, विदेशी राजनयिकों की भी यात्रा कराई गई है, लेकिन अभी तक स्थिति ऐसी नहीं हो पाई है कि इंटरनेट पूरी तरह बहाल हो गया हो। नेताओं को भी हिरासत में रखा गया है और भारी तादाद में सुरक्षा बल तैनात हैं और पाबंदियाँ लगी हुई हैं।