भारत में आधी आबादी को भी कोरोना टीका नहीं दिया गया है, ऐसे में अमेरिका में एक शोध में पाया गया है कि जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है, उनके कोरोना से संक्रमित होने की आशंका दोगुणा से भी ज़्यादा है।
अमेरिका की शीर्ष संस्था सेंटर फ़ॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन यानी सीडीसी ने कहा है कि हर नागरिक को हर हाल में कोरोना टीका दिया जाना चाहिए। उसने इसका कारण बताते हुए कहा है कि जिन्होंने कोरोना टीका नहीं लिया है, उनके कोरोना से संक्रमित होने की संभावना टीका लेने वालों की तुलना में 2.34 गुणा अधिक है।
इम्युनिटी पर सवाल
सीडीसी ने यह चेतावनी ऐसे समय दी है जब सीनेटर पॉल रैंड समेत कई राजनीतिकों ने कोरोना टीका लेने से इनकार कर दिया है। सीनेटर रैंड ने तर्क दिया है कि उनका इम्यून सिस्टम पहले से ही बहुत मजबूत है और उन्हें टीके की ज़रूरत नहीं है।
दूसरी ओर, केंटकी राज्य के 246 ऐसे लोगों को फिर से कोरोना संक्रमण हुआ, जिन्हें पिछले साल के मई-जून में कोरोना हुआ था और जो इलाज से ठीक हो गए थे। यानी, जिन्हें एक बार कोरोना हो गया था, उन्हें दुबारा कोरोना हो सकता है, इसकी पुष्टि हो गई है।
शोध में यह कहा गया है कि कोरोना टीका लेने वालों की इम्युनिटी की पूरी जानकारी अभी भी नहीं है और कई लोगों को टीका लेने के बावजूद कोरोना वायरस के नए वैरिएंट से संक्रमण हुआ है।
अध्ययन में यह भी पाया गया है कि जिन लोगों को वुहान वायरस का संक्रमण हुआ था और उसके प्रति एंटीबॉडी विकसित हो गई थी, यानी वे इम्यून हो गए थे, बाद में बीटा वैरिएंट से वे भी संक्रमित हो गए।
समय पर पूरा होगा टीकाकरण?
सीडीसी का यह एलान ऐसे समय हुआ है जब यह खबर भी आई है कि भारत में समय पर कोरोना टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने के लिए यह ज़रूरी है कि रोज़ाना कम से कम 92 लाख लोगों को कोराना टीका दिया जाए।
यह मुश्किल इसलिए है कि पूरे देश में औसतन रोज़ाना 30 लाख लोगों को ही कोरोना टीका दिया जा रहा है। यकायक तीन गुणा अधिक लोगों का टीकाकरण कैसे हो, यह अहम सवाल है।
यह लक्ष्य हासिल करना कितना मुश्किल है, इसे इससे समझा जा सकता है कि जुलाई के अंत तक कोरोना टीके की 47 करोड़ खुराक़ें दी जा चुकी थीं। यानी 141 करोड़ खुराक़ें अभी दी जानी हैं।
153 दिन, 141 करोड़ खुराक़ें
यह निष्कर्ष इस आधार पर निकाला गया है कि देश में व्यस्क लोगों की संख्या 94 करोड़ है, सबको दो-दो खुराक़ें दी जाएं तो 188 करोड़ खुराक़ों की ज़रूरत होगी।
इसका मतलब यह है कि साल के शेष बचे 153 दिनों में 141 करोड़ खुराक़ें दी जानी हैं, यानी रोज़ाना 92 लाख खुराक़ें रोज़ देनी होंगी।
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