केंद्रीय जाँच ब्यूरो के डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी अर्ज़ी में विस्फोटक खुलासे किए थे। उनकी अर्ज़ी से यह साफ़ होता है कि इस संस्था में भ्रष्टाचार किस हद तक ऊपर से नीचे तक फैला हुआ है। इसके साथ ही केंद्र सरकार और ख़ुफ़िया एजेंसी रिसर्च ऐंड एनलिसिस विंग (रॉ) के बहुत बड़े अफ़सर के हस्तक्षेप की बातें भी उजागर होती हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्र सरकार के मंत्री पैसे लेकर सीबीआई जांच में रुकावट डाल सकते हैं, इसका खुलासा भी होता है। 

सिन्हा ने अपना तबादला नागपुर किए जाने के ख़िलाफ़ सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने अपनी अर्ज़ी में सनसनीखेज खुलासा किया था। 

सिन्हा के खुलासे से नरेंद्र मोदी सरकार में कोयला व खनन राज्यमंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी पर करोड़ों रुपए घूस लेकर एक अभियुक्त को बचाने का आरोप लगता है। प्रधानमंत्री के नज़दीकी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पर उसी अभियुक्त को बचाने के लिए सीबीआई पर दबाव डालने और उसकी जाँच में बाधा पँहुचाने की बात भी कही गई है। इस मामले में देश की रॉ के एक बड़े अफ़सर का नाम भी खुल कर सामने आ गया।