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हिमालयी योगी मामला: एनएसई का पूर्व अधिकारी सुब्रमण्यम गिरफ़्तार

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व समूह संचालन अधिकारी यानी जीओओ आनंद सुब्रमण्यम को सीबीआई ने गिरफ़्तार किया है। 2018 में एक्सचेंज में हेराफेरी के मामले की जाँच के सिलसिले में यह गिरफ्तारी हुई है। आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति कथित तौर पर 'हिमालयी योगी' के फ़ैसले से प्रभावित थी। इसी रहस्यमयी 'हिमालयी योगी' से एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण कथित तौर पर एनएसई की पूरी गोपनीय जानकारी साझा करती थीं और उसकी सलाह से फ़ैसले लेती थीं।

यह मामला आने के बाद से उस अज्ञात 'योगी' का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। बहरहाल, इस पूरे मामले की जाँच कर रही सीबीआई ने कहा है, 'सुब्रमण्यम को गुरुवार देर रात चेन्नई में अधिकारियों की एक टीम ने गिरफ्तार किया था। उन्हें आज एक अदालत में पेश किया जाएगा।' 

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अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि बाजार नियामक सेबी की एक रिपोर्ट में ताजा तथ्य सामने आने के कारण गिरफ्तारी की गई। इससे पहले सीबीआई ने आनंद सुब्रमण्यम से चेन्नई में तीन दिनों तक और आख़िरी बार 21 फ़रवरी को पूछताछ की।

सीबीआई पहले ही पूर्व एमडी-सीईओ चित्रा रामकृष्ण और पूर्व सीईओ रवि नारायण से पूछताछ कर चुकी है। रामकृष्ण से जहां पिछले शुक्रवार को पूछताछ हुई थी, वहीं नारायण से पिछले शनिवार को पूछताछ की गई थी।

सीबीआई के अनुसार यह पूछताछ सेबी की एक रिपोर्ट के संदर्भ में की गई जिसमें कहा गया था कि रामकृष्ण एक 'हिमालयी योगी' के साथ गोपनीय जानकारी साझा कर रही थीं। 

आनंद सुब्रमण्यम को पहली बार 2013 में एनएसई में मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था और फिर 2015 में तत्कालीन प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्ण द्वारा समूह संचालन अधिकारी के रूप में पदोन्नत किया गया था।

2016 में अनियमितताओं के आरोप सामने आने के बाद आनंद सुब्रमण्यम ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज छोड़ दिया था।

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'हिमालयी योगी' का रहस्य अनसुलझा है। एक्सचेंज ने कहा है कि यह 'योगी' समूह परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम के अलावा दूसरा कोई नहीं था। इस दावे की भी ईवाई द्वारा पुष्टि की गई जिसने फ़ोरेंसिक ऑडिट किया। जबकि शेयर बाज़ार नियामक सेबी ने इसके लिए पर्याप्त सबूत नहीं पाया और वह इससे आश्वस्त नहीं है।

लाइव मिन्ट की रिपोर्ट के अनुसार, जाँच के दौरान प्रबंध निदेशक रामकृष्ण ने कहा है कि तीसरे पक्ष जो 'ऋग्याजुरसामा' के रूप में थे, वह ई-मेल से 20 वर्षों से अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शक 'सिद्ध-पुरुष' या 'परमहंस' से मार्गदर्शन ले रही थीं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि वह व्यक्ति सुब्रमण्यम नहीं था।

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क़मर वहीद नक़वी
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