दिवंगत कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता चाहते हैं कि निकटतम परिजन नीति यानी एनओके नीति में बदलाव हो ताकि सैनिक की मौत होने पर वित्तीय सहायता और सम्मान सिर्फ पत्नी को ही न दी जाएं बल्कि उसमें माता-पिता को भी शामिल किया जाए। उनकी इस मांग के बाद इसपर बहस शुरू हो गई है। लेकिन अब जो ख़बर सामने आ रही है उसमें कहा गया है कि मौजूदा व्यवस्था में ही माता-पिता को भी आर्थिक सहायता मिलती है।
शहीद सैनिक के माता-पिता और पत्नी में बीमा, पीएफ़, पेंशन का बँटवारा कैसे?
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- 15 Jul, 2024
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने हाल में यह कहकर बहस शुरू कर दी है कि शहीद के परिवार को मिलने वाली आर्थिक सहायता में पत्नी के साथ-साथ माता-पिता को भी मिलना चाहिए। जानें सेना के नियम क्या हैं।

मीडिया रिपोर्टों में सेना के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 1 करोड़ रुपये का आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड यानी एजीआईएफ़ उनकी पत्नी और माता-पिता के बीच बाँटा गया, जबकि पेंशन सीधे जीवनसाथी को जाती है। सेना के एक सूत्र ने बताया कि नीति के अनुसार, एक बार जब कोई अधिकारी विवाहित हो जाता है, तो उसकी पत्नी पेंशन के लिए नामित होती है। सूत्रों ने बताया कि अधिकारी की पत्नी को कुछ लाभ मिल रहे हैं, क्योंकि उन्हें वसीयत में नामित किया गया था।