कथित लव जिहाद पर क़ानूनी दाँव-पेच और राजनीतिक आरोपों-प्रत्यारोंपों के बीच कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक बेहद अहम फ़ैसला दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि अलग-अलग धर्मों के लोगों के विवाह में कोई महिला अपना धर्म बदल कर दूसरा धर्म अपना लेती है और उस धर्म को मानने वाले से विवाह कर लेती है तो किसी अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
'अंतर-धार्मिक विवाहों में अदालत नहीं कर सकती हस्तक्षेप'
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- 29 Mar, 2025
कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि अलग-अलग धर्मों के लोगों के विवाह में कोई महिला अपना धर्म बदल कर दूसरा धर्म अपना लेती है और उस धर्म को मानने वाले से विवाह कर लेती है तो किसी अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस अरिजित बनर्जी के खंडपीठ ने यह फ़ैसला उस मामले की सुनवाई करते हुए दिया जिसमें 19 साल की एक महिला ने अपना धर्म बदल लिया और दूसरे धर्म के युवक से विवाह कर लिया।
उस महिला ने कहा कि यह उसका अपना फ़ैसला है, उसने स्वेच्छा से उस युवक से विवाह किया है। उस महिला के पिता ने अदालत में कहा कि उसने दबाव में यह बयान दिया है।