प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल कहा था कि यदि विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ हमें अनुमति दे तो हम पूरी दुनिया का पेट भर सकते हैं, पूरी दुनिया में अनाज भेज सकते हैं? तो क्या सच में ऐसा है? यदि भारत पूरी दुनिया में अनाज भेज सकता है तो आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला क्यों लिया गया है?
'दुनिया का पेट भरने' चले थे तो आटा के निर्यात पर प्रतिबंध क्यों?
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- 26 Aug, 2022
गेहूं के बाद अब आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की नौबत क्यों आई? कुछ महीने पहले तक जब भंडारण भरे होने के दावे किए जा रहे थे तो अब प्रतिबंध लगाने की मंजूरी क्यों?

दरअसल, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को बढ़ती क़ीमतों पर अंकुश लगाने और गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति यानी सीसीईए ने ही दी है। पहले निर्यात प्रतिबंधों से गेहूं या मेसलिन के आटे को छूट थी, लेकिन अब इस नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। संशोधन केंद्र को बाजार की स्थितियों के आधार पर गेहूं के आटे के निर्यात की जाँच करने की अनुमति देगा।