महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि यदि सावधानी नहीं बरती गई तो लॉकडाउन लगाया जाएगा। कई ज़िलों में तो लॉकडाउन लगा भी दिया गया है। पूरे देश में संक्रमण के मामले 25 हज़ार से ज़्यादा आने लगे हैं। इससे भले ही भारत में कोरोना की स्थिति बेकाबू होती लग रही हो, लेकिन ब्राज़ील की स्थिति भारत से भी ज़्यादा ख़राब है।
ब्राज़ील में फिर से कोरोना का कहर है। सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले में यह भारत से आगे निकल गया है और दूसरे स्थान पर पहुँच गया है। ब्राज़ील में जहाँ 1 करोड़ 14 लाख 39 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए हैं वहीं भारत में अब 1 करोड़ 13 लाख 33 हज़ार संक्रमण के मामले ही है। पहले स्थान पर अमेरिका है जहाँ अब तक 2 करोड़ 93 लाख 99 हज़ार संक्रमण के मामले आए हैं।
ब्राज़ील में इसलिए ज़्यादा ख़राब स्थिति है कि हर रोज़ संक्रमण के मामले में ब्राज़ील पहले नंबर पर है। वहाँ एक दिन में 70 हज़ार से भी ज़्यादा संक्रमण के मामले आए हैं और क़रीब 1900 लोगों की मौत हो गई। इतनी संख्या में कोरोना संक्रमण के मामले अब हर रोज़ आने लगे हैं। जबकि अमेरिका में एक दिन में 48 हज़ार मामले सामने आए और भारत में 25 हज़ार केस। अब तक सबसे ज़्यादा मौतें अमेरिका में 5 लाख 34 हज़ार से ज़्यादा हुई हैं। दूसरे स्थान पर ब्राज़ील है जहाँ 2 लाख 77 हज़ार से ज़्यादा मौतें हुई हैं। दुनिया भर में मौत के मामले में भारत चौथे स्थान पर है और यहाँ 1 लाख 58 हज़ार मौतें हुई हैं। तीसरे स्थान पर मेक्सिको में 1 लाख 93 हज़ार लोगों की मौतें हुई हैं।
ब्राज़ील की स्थिति कितनी ख़राब है इसका अंदाज़ा इससे भी लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने हालात को चिंताजनक बताया है। समझा जाता है कि संक्रमण के मामले इसलिए ज़्यादा बढ़ने लगे हैं क्योंकि वहाँ पर नये स्ट्रेन यानी नये क़िस्म का कोरोना पाया गया है और वह काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है। इसे आम तौर पर ब्राज़ील वैरिएंट नाम दिया गया है।
संक्रमण के तेज़ी से फैलने के लिए सरकार की नीतियों को भी ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है। लॉकडाउन के ख़िलाफ़ बात करने के लिए ब्राज़ील के राष्ट्रपति जईर बोसोनारो की आलोचना की जाती रही है।
विवादास्पद बयान देने के लिए जाने जाते रहे राष्ट्रपति जईर बोसोनारो ने एक हफ़्ते पहले ही कर्फ्यू को यह कहते हुए ग़लत बताया था कि डब्ल्यूएचओ को लगता है कि लॉकडाउन पर्याप्त नहीं है और इससे ग़रीब ज़्यादा प्रभावित होते हैं। हालाँकि उन्होंने डब्ल्यूएचओ की पूरी बात को नहीं बताया। डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा था कि लॉकडाउन के नकारात्मक असर होते हैं, लेकिन संक्रमण को रोकने के लिए कुछ देशों के पास इसको छोड़कर दूसरा उपाय भी नहीं है।
एक उम्मीद कोरोना वैक्सीन से है, लेकिन टीकाकरण अभी बहुत कम लोगों का किया जा सका है। एक रिपोर्ट के अनुसार चार फ़ीसदी लोगों को ही दोनों टीके लगाए जा सके हैं।
भारत में संक्रमण की दूसरी लहर?
ब्राज़ील की तुलना में भारत में मौजूदा स्थिति में हालात बेहतर जान पड़ते हैं, लेकिन धीरे-धीरे संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। और इसीलिए संदेह यह जताया जाने लगा है कि क्या भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हो गई है। यह इसलिए कि हर रोज़ संक्रमण के मामले क़रीब 10 हज़ार आने लगे थे वे अब बढ़कार 25 हज़ार से भी ज़्यादा हो गए हैं। कोरोना पॉजिटिव एक्टिव मामले जहाँ 1 लाख 37 हज़ार पहुँच गए थे वे अब बढ़कर 2 लाख से ज़्यादा हो गए हैं। पहले जहाँ ठीक होने वाले मरीज़ों की संख्या नये कोरोना पॉजिटिव वालों की संख्या से ज़्यादा थी वहीं अब नये कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों की संख्या ज़्यादा हो गई है। और तो और देश के कई ज़िलों में सख़्त लॉकडाउन लगा दिया गया है और महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों ने पूरे राज्य में ही लॉकडाउन लगाने की चेतावनी भी दे दी है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को राज्य में होटल और रेस्तरां को आदेश दिया कि वे अपने परिसर में कोरोना प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें और राज्य को लॉकडाउन जैसे कठोर उपायों को लागू करने के लिए मजबूर न करें।
ठाकरे ने कहा, 'हमें एक सख्त लॉकडाउन के लिए मजबूर न करें। इसे अंतिम चेतावनी के रूप में मानें। सभी नियमों का पालन करें। सभी को यह समझना होगा कि आत्म-अनुशासन और प्रतिबंधों में अंतर है।'
उनकी यह चेतावनी तब आई है जब शनिवार को राज्य मे 15 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए और 88 लोगों की मौत हो गई। राज्य में 22 लाख 97 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ चुके हैं और 52 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के कई ज़िलों में लॉकडाउन लगाया जा चुका है।
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