'बोफ़ोर्स के दलालों को, जूते मारो सालों को' से लेकर 'चौकीदार चोर है', इन दोनों नारों में एक जो ख़ास समानता है वह यह कि ये दोनों नारे रक्षा सौदों में हुए कथित भ्रष्टाचार के सामने आने पर राजनीतिक दलों ने अपने विरोधियों को निशाने पर लेने के लिए गढ़े हैं। दोनों नारों में एक समानता और है कि दोनों ही के केंद्र में प्रधानमंत्री हैं। उस समय राजीव गाँधी थे तो आज नरेंद्र मोदी।
बोफ़ोर्स पर हंगामा तो रफ़ाल पर चुप्पी क्यों?
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- 13 May, 2019
राष्ट्रवाद को अब एक समुदाय या धर्म विशेष के लोगों के ख़िलाफ़ ले जाने की कोशिश हो रही है। ऐसा करके कहीं हम पाकिस्तान की तरफ़ तो नहीं बढ़ रहे हैं।
