शहरी और मध्यमवर्गीय मतदाताओं के बीच पारंपरिक रूप से गहरी पैठ रखने वाली भारतीय जनता पार्टी को हाल में हुए विधानसभा चुनावों में अच्छा ख़ासा नुक़सान इन्हीं इलाक़ों में हुआ है। इसलिए यह सवाल उठने लगा है कि बीजेपी की पकड़ शहरी मतदाताओं पर ढीली क्यों पड़ने लगी है।
चुनाव नतीजों पर एक नज़र डालने से यह साफ़ हो जाता है कि मध्य प्रदेश के शहरी इलाक़ों में सत्तारूढ़ दल को पहले की तुलना में लगभग 7 फ़ीसद अंक यानी परसेंट पॉयंट कम वोट मिले। यह प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से कम तो है ही, ख़ुद इसके पिछले चुनाव यानी 2013 में हुए चुनाव से भी कम है। ज़ाहिर है, शहरी और अर्द्धशहरी मतदाताओं के बीच इसकी अपील कम हुई है।
शहरी इलाक़ों में बीजेपी को हुआ भारी नुक़सान
- विधानसभा चुनाव
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- 12 Dec, 2018
शहरी इलाक़ों में पैठ रखने वाली भारतीय जनता पार्टी को इन चुनावों में भारी नुक़सान उठाना पड़ा। आख़िर क्यों? क्या शहरी मतदाताओं ने इसके हिदुत्व जैसे मूल मुद्दों को नापसंद किया?
