मध्यप्रदेश में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत से चूक गई। कहां कमी रही, चुनावी नतीजे ही साफ़ तौर पर बताते हैं। कांग्रेस का खेल ख़राब करने में विंध्य और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र का रोल बेहद अहम रहा। इनमें से एक क्षेत्र तो अजय सिंह और दूसरा ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला माना जाता रहा है। तमाम संभावनाओं के उलट कुल 30 सीट वाले विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस महज छह सीटों पर सिमटकर रह गई। विंध्य में कांग्रेस की दुर्गति का आलम यह रहा कि मुख्यमंत्री पद के एक अहम दावेदार माने जा रहे अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह अपनी सीट चुरहट बुरी तरह से हार गए। उधर, मध्यप्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल संभाग की कुल 34 सीटों में 11 सीटें ही कांग्रेस को मिल सकीं। साल 2013 के चुनाव नतीजों के मुक़ाबले सिंधिया के क्षेत्र में कांग्रेस को मात्र एक सीट का ही फ़ायदा मिल पाया।
विंध्य क्षेत्र में मोदी लहर में कांग्रेस ने कुल 30 सीटों में 12 सीटें हासिल की थीं। इस बार यहाँ पार्टी को महज छह सीटें मिलीं। क्षेत्र में बसपा का प्रभाव रहा है, लेकिन वह इस बार यहाँ खाता भी नहीं खोल पाई। बीजेपी ने तमाम सँभावनाओं को धता बताते हुए सबसे शानदार सफलता इसी क्षेत्र में पाई। उसने 80 प्रतिशत सफलता पाते हुए कुल 24 सीटें यहाँ जीतीं।
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बड़ा नुक़सान मालवा-निमाड़ में
बीजेपी को सबसे बड़ा नुकसान मालवा-निमाड़ में हुआ। कुल 66 सीटों वाले इस क्षेत्र में पिछले चुनाव में 56 सीटें हासिल करने वाली बीजेपी को 28 सीटों का नुकसान हुआ और उसे मात्र 28 सीटें ही मिल पाईं। प्रदेश के अन्य चार क्षेत्रों में भी बीजेपी साल 2013 के चुनाव नतीजों के मुक़ाबले नुक़सान में रही।
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