नीति आयोग ने यूएनडीपी और ऑक्सफ़ोर्ड पावर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (ओपीएचआई) के सहयोग से अपनी बहु-आयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) जारी करना शुरू किया. आयोग ने गरीबी को आर्थिक पैमाने पर मापना सही तस्वीर न मानते हुए दस नए सूचकांक बनाये हैं- पोषण, बाल-मृत्यु, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थति, कुकिंग ईंधन, स्वच्छता, पेय जल, बिजली, घर और एसेट. देश के पांच पिछड़े राज्यों में एक भी दक्षिण या पश्चिम भारत का नहीं है और सभी उत्तर भारत या पूर्वोत्तर राज्य हैं. कहने की जरूरत नहीं कि बिहार और यूपी इनमें सबसे नॉन-परफार्मिंग राज्य हैं. उसके बाद झारखण्ड और एमपी आते हैं.
कहां तो तय था चिराग़ां हर एक घर के लिए, कहां...
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- 18 Jan, 2025
भाजपा-आरएसएस-मोदी जो कुछ कर रहे हैं, वो बातें तो अपनी जगह हैं लेकिन इनकी बातों से समाज जिस तार्किक जड़ता का शिकार हो रहा है, उसकी चिन्ता हम सब को करना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह बता रहे हैं कि देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे वास्तविक मुद्दों पर बात नहीं हो रही है। बल्कि फिजूल के मुद्दों को सड़क से संसद तक और सैलून से सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया जा रहा है। भारतीय जनमानस को सामूहिक जड़ता का शिकार बना दिया गया है।
