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बिलकीस बानो के दोषी ने पैरोल पर भी की थी महिला से 'छेड़छाड़'

बिलकीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के लोगों की हत्या के जिन दोषियों को हाल में रिहा किया गया है, उन पर आख़िर विवाद ख़त्म क्यों नहीं हो रहा है? एक तो इतने गंभीर आरोपियों को रिहा किया गया, फिर उनको माला पहनाकर स्वागत किया गया, मिठाई खिलाकर जश्न मनाया गया और जब इस पर सवाल उठे तो उटपटांग तर्क दिए गए! सरकार की ओर से कहा गया है कि दोषियों का 'व्यवहार अच्छा पाया गया'। लेकिन क्या सच में ऐसा है? क्या पैरोल पर बाहर रहने के दौरान महिला से छेड़छाड़ अच्छा व्यवहार कहा जाएगा? क्या 15-20 दिनों के पैरोल पर साल-साल भर जेल से बाहर रहना अच्छा व्यवहार है?

रिपोर्ट है कि आरोपियों ने अपनी सजा के दिन में से प्रत्येक 1000-1000 दिन से ज़्यादा जेल से बाहर रहे। पैरोल के नियमों के उल्लंघन को दरकिनार कर भी दें तो क्या महिला से छेड़छाड़ की बात को दरकिनार किया जा सकता है?

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गुजरात सरकार के हलफनामे से ही पता चलता है कि उन 11 दोषियों में से एक मितेश चिमनलाल भट्ट जब जून 2020 में पैरोल पर था, तो उसके खिलाफ एक महिला ने छेड़छाड़ का मुक़दमा दर्ज कराया था। इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई है। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट में ही हलफनामा दायर कर दी गई है। 

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने यह हलफनामा 11 दोषियों को रिहा किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर दायर किया है। उसी हलफनामे में चिमनलाल भट्ट पर महिला से छेड़छाड़ वाले मुक़दमे का ज़िक्र किया गया है। जिला पुलिस अधीक्षक दाहोद को यह जानकारी तब दी गई जब सरकार बिलकीस बानो मामले में 14 साल की कैद के बाद मितेश चिमनलाल भट्ट सहित दोषियों को रिहा करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही थी। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, 57 वर्षीय भट्ट पर जून 2020 में रंधिकपुर पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 354, 504, 506 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया था और मामले में चार्जशीट दायर की गई थी। ये धाराएँ शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल, धमकी, हत्या की धमकी, और उकसाने की हैं। 

बता दें कि 25 मई तक भट्ट बिलकीस बानो मामले में पैरोल, फरलो के 954 छुट्टी का लुत्फ उठा चुका था। खास बात यह है कि 2020 में एफ़आईआर दर्ज होने के बाद भी वह 281 दिनों के लिए जेल से बाहर था।
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ऐसा तब है जब रिहाई से पहले इन सब की जानकारी नहीं दी गई थी। लाइल लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, एसपी बलराम मीणा ने पत्राचार में डीएम से उनकी समय से पहले रिहाई की सिफारिश करते हुए कहा था, 'दाहोद जिले के सभी पुलिस थानों में तलब किए जाने के रिकॉर्ड पर उक्त कैदी के ख़िलाफ़ न तो कोई अभ्यावेदन और न ही कोई ज्ञापन मिला और न ही कोई प्राथमिकी दर्ज की गई है।'

जैसा कि पहले रिपोर्ट आई थी, गुजरात सरकार ने जवाब में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने बिलकीस बानो मामले में 11 दोषियों को उनकी 14 साल की सजा पूरी होने पर रिहा करने का फ़ैसला किया क्योंकि उनका 'व्यवहार अच्छा पाया गया' और यह केन्द्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद किया गया।

bilkis bano convict accused of outraging women modesty on parole - Satya Hindi

एक रिपोर्ट के अनुसार 2017-2021 के बीच बिलकीस बानो मामले में कम से कम चार गवाहों ने दोषियों के खिलाफ शिकायत और प्राथमिकी दर्ज की। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार दो दोषियों राधेश्याम शाह और मितेश भट्ट के खिलाफ 6 जुलाई, 2020 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार प्राथमिकी में कहा गया है कि दो दोषियों और राधेश्याम के भाई आशीष सहित तीन लोगों ने सबराबेन, उनकी बेटी आरफा और गवाह पिंटूभाई को उनके बयानों से फँसाने के लिए धमकी दी।

एक अन्य गवाह मंसूरी अब्दुल रज्जाक अब्दुल मजीद ने 1 जनवरी, 2021 को दाहोद पुलिस में एक अन्य दोषी शैलेश चिम्मनलाल भट्ट के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने भी पैरोल पर बाहर रहने के दौरान कथित तौर पर धमकी दी थी। हालाँकि, इस शिकायत पर एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई है।

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दो अन्य गवाहों- घांची आदमभाई इस्माइलभाई और घांची इम्तियाजभाई यूसुफभाई ने 28 जुलाई, 2017 को एक दोषी गोविंद नाई के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। आवेदकों ने आरोप लगाया कि आरोपी ने समझौता करने के लिए सहमत नहीं होने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी। यह शिकायत भी कभी एफआईआर में नहीं बदली।

इन दोषियों के बारे में यह ख़बर भी आ रही है कि ये अपनी सजा के दौरान पैरोल, फरलो या अस्थाई जमानत के नाम पर कई दिन तक बाहर रहे। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक दोषी रमेश चांदना 1576 तक दिन से जेल से बाहर रहा था। इसमें से 1198 दिन वह पैरोल पर जबकि 378 दिन फरलो पर बाहर रहा था। 

गुजरात सरकार के हलफनामे से पता चलता है कि हर एक दोषी को औसतन 1176 दिन की छुट्टी पैरोल, फरलो और अस्थाई जमानत के रूप में जेल से मिली।

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