“ मुझसे कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में आप पैदल नहीं गाड़ी से चलिए। प्रशासन ने डराने के लिए कहा कि पैदल चलेंगे तो आपके ऊपर ग्रेनेड फेंका जाएगा।....मैंने सोचा कि जो मुझसे नफ़रत करते हैं, उनको क्यों न एक मौका दूँ कि मेरी सफेद शर्ट का रंग बदल दें, लाल कर दें...क्योंकि मेरे परिवार ने मुझे सिखाया है, गाँधी जी ने सिखाया है कि अगर जीना है तो डरे बिना जीना है, नहीं तो जीना नहीं है। तो मैंने मौका दिया, बदल दो टीशर्ट का रंग। मगर जो मैंने सोचा था, वही हुआ, जम्मू-कश्मीर के लोगों ने हैंड ग्रेनेड नहीं दिया, दिल खोलकर प्यार दिया, गले लगे और मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि उन सबने मुझे अपना माना और सबने आँसुओं से मेरा स्वागत किया।”