बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा के बीच वहां के हाईकोर्ट में बुधवार को याचिका दायर कर इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई। याचिका में आगे की अशांति को रोकने के लिए चटगांव और रंगपुर में आपातकाल लगाने की भी मांग की गई है, क्योंकि दोनों शहरों में विरोध प्रदर्शन जारी है। याचिका में इस्कॉन को कट्टरपंथी संगठन बताया गया है। बांग्लादेश सरकार ने भी यही बात हाईकोर्ट में कही है।
द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि बांग्लादेश सरकार ने इस्कॉन की हालिया गतिविधियों के संबंध में क्या कदम उठाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अदालत ने अटॉर्नी जनरल एमडी असदुज्जमां से कल तक (गुरुवार 28 नवंबर) को सरकार के कदमों के बारे में अदालत को सूचित करने को कहा।
जस्टिस फराह महबूब और जस्टिस देबाशीष रॉय चौधरी की हाईकोर्ट की पीठ ने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के वकील मोनिरुज्जमां द्वारा पीठ के समक्ष इस्कॉन पर दो समाचार पत्रों की रिपोर्ट रखने के बाद आदेश पारित किया।
बांग्लादेश हाईकोर्ट ने सरकार से स्थिति से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है, जिससे देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता बढ़ गई है। बांग्लादेश में हाल की अशांति तब शुरू हुई जब 25 नवंबर को ढाका हवाई अड्डे पर प्रमुख हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी हुई। धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा की वकालत करने के लिए जाने जाने वाले भिक्षु पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया और जमानत से इनकार कर दिया गया।
उनकी गिरफ्तारी के बाद पूरे बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और हिंदू समुदाय उनकी रिहाई की मांग करने लगा। चटगांव अदालत के बाहर प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसके परिणामस्वरूप कथित तौर पर भीड़ के हाथों एक वकील की मौत हो गई। संबंधित झड़पों में 20 से अधिक लोग घायल हो गए।
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चिन्मय कृष्ण दास प्रभु ने कथित तौर पर हाल के महीनों में कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए थे, जिसमें बांग्लादेश में हिंदुओं परअत्याचारों के आरोप लगाए गए थे। बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय की सुरक्षा की मांग की गई थी। उनकी हिरासत से धार्मिक अल्पसंख्यकों में डर बढ़ गया है, जो इसे असहमति को चुप कराने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं।
इस्कॉन ने दुनियाभर से समर्थन मांगा
घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, इस्कॉन ने गिरफ्तारी की निंदा की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। इस्कॉन प्रवक्ता ने कहा- “संयुक्त राष्ट्र को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को बचाने के लिए कदम उठाना चाहिए। उत्पीड़न अस्वीकार्य है।
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