केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने ऑगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर खरीद मामले में पूरक चार्जशीट अदालत में दाखिल कर दी है। लेकिन में इसमे किसी राजनेता का नाम नहीं है। इसमें रिटायर्ड एअर वाइस मार्शल जसबीर सिंह और पूर्व रक्षा सचिव शशि कांत शर्मा के नाम भी नहीं है।
मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए 3,600 करोड़ रुपए का यह रक्षा सौदा हुआ था, जिसमें उस समय विपक्ष की भारतीय जनता पार्टी ने गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इस मामले में शनिवार को दायर चार्ज शीट में कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स और राजीव सक्सेना के नाम ज़रूर हैं।
शर्मा, जसबीर सिंह और वायु सेना के दूसरे तीन बड़े अफ़सरों पर मुक़दमा चलाने के लिए सरकार की पूर्व अनुमति ज़रूरी है और मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ने यह अनुमति अब तक नहीं दी है।
मिशेल ने किसी नेता का नाम नहीं लिया
नरेंद्र मोदी सरकार मिशेल 2018 के दिसंबर में संयुक्त अरब अमीरात से ले आई थी और यह समझा जाता था कि वह अपने बयान में कांग्रेस के किसी बहुत बड़े नेता का नाम लेंगे। पर उन्होंने किसी राजनेता का नाम नहीं लिया। सीबीआई ने जिन 15 लोगों को चार्जशीट में अभियुक्त बनाया है, उनमें एक भी राजनेता नहीं है।
सीबीआई ने पूरक चार्जशीट में कहा है कि ऑगस्तावेस्टलैंड ने कथित बिचौलिए की कंपनी को 7 करोड़ यूरो दिए थे। मिशेल ने दुबई में ग्लोबल सविसेज एफज़ेडई की स्थापना की थी। इसमें दो और बिचौलिए थे-कार्लोस गेरोसा और गाइडो हस्के।
सीबीआई के अनुसार यह तय हुआ था कि मिशेल को 4.2 करोड़ यूरो और हस्के को 2.8 करोड़ यूरो मिलना था। बाद में यह सौदा रद्द कर दिया गया, लेकिन उसके पहले ही मिशेल ने 2.4 करोड़ यूरो निकाल लिए थे।
सीबीआई ने राजीव सक्सेना पर यह आरोप लगाया है कि उसने यूएई की एक फर्जी कंपनी के जरिए पैसे निकालने में बिचौलियों की मदद की है। सक्सेना को जनवरी 2019 दुबई से भारत लाया गया था। वह प्रवर्तन निदेशालय का गवाह बन गया है।
याद दिला दें कि भारतीय वायु सेना ने 1999 में 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर खरीदने की निविदा जारी की। अंत में 3,600 करोड़ रुपए का ठेका ऑगस्तावेस्टलैंड को 2010 में दिया गया।
बाद में यह आरोप लगा कि ऑगस्ता की मदद करने के लिए जानबूझ कर हेलिकॉप्टर की ऊँचाई को 6,000 मीटर से कम कर 4,500 मीटर कर दिया गया। सीबीआई ने मार्च 2013 में जाँच शुरू की।
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