स्कूलों में बच्चों के ड्रॉप आउट यानी नामांकन कम होने से रोकने के लिए लाख कोशिशों के बावजूद स्थिति ज़्यादा अच्छी होती नहीं दिख रही है। वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट यानी 'असर' द्वारा 14-18 वर्ष के बच्चों के बीच किए गए सर्वे में यह साफ़ तौर पर दिखता है। 14 वर्ष के बच्चों में 4 फ़ीसदी से भी कम बच्चे हैं जिनका स्कूल में नामांकन नहीं था, जबकि 18 वर्ष के बच्चों में गैर नामांकित बच्चों का प्रतिशत 32.6 फीसदी तक है।
असर के सर्वे के अनुसार 14 से 18 वर्ष के क़रीब 86.8 प्रतिशत बच्चे किसी न किसी शैक्षणिक संस्थान में नामांकित हैं। नामांकित न होने वाले युवाओं का प्रतिशत 14 साल के बच्चों के लिए सबसे कम 3.9 प्रतिशत है। 15 साल के बच्चों के लिए यह 7.2 फीसदी है, 16 साल के बच्चों के लिए 10.9 फीसदी, 17 साल के बच्चों के लिए 18.3 फ़ीसदी और 18 साल के बच्चों के लिए सबसे ज़्यादा 32.6 प्रतिशत है। यानी 14 से 18 साल पहुँचते-पहुँचते ड्रॉप आउट काफ़ी ज्यादा हो जाता है।
लड़के और लड़कियों को अलग-अलग बाँटकर देखें तो इसके आँकड़ों में ज़्यादा अंतर नहीं दिखता है। 14 साल की उम्र में जहाँ गैर नामांकित लड़कों का प्रतिशत 3.1 है, वहीं लड़कियों का प्रतिशत 4.6 है। 15 की आयु में गैर नामांकित लड़के 6.5% तो लड़कियाँ 7.7 फ़ीसदी हैं। 16 वर्ष में लड़के 11.5 फ़ीसदी तो लड़कियाँ 10.4 फ़ीसदी, 17 वर्ष में लड़के 20.1 फ़ीसदी तो लड़कियाँ 16.8 फ़ीसदी और 18 वर्ष में लड़के 31.6 फ़ीसदी तो लड़कियाँ 33.4 फ़ीसदी किसी संस्थान में नामांकित नहीं हैं।
सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 5.6 प्रतिशत युवाओं ने व्यावसायिक प्रशिक्षण या अन्य संबंधित पाठ्यक्रम लिए, जिनमें से अधिकांश 6 महीने या उससे कम के थे।
ये आँकड़े असर 2023 'बियॉन्ड बेसिक्स' नाम के सर्वे में सामने आए हैं। 26 राज्यों के 28 जिलों में सर्वे किया गया था। असर की टीम 14-18 वर्ष आयु वर्ग के कुल 34,745 युवाओं तक पहुँची। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को छोड़कर, जहां दो ग्रामीण जिलों का सर्वेक्षण किया गया है, प्रत्येक प्रमुख राज्य में एक ग्रामीण जिले का सर्वेक्षण किया गया है। युवाओं की वर्तमान गतिविधि और बुनियादी और व्यावहारिक कार्यों को करने की उनकी क्षमता के संबंध में डेटा जुटाया गया। हालाँकि, सभी जिलों में काफी अंतर हैं।
बता दें कि रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्रीय भाषाओं में स्कूली शिक्षा पर जोर के बावजूद 14-18 आयु वर्ग के लगभग 25 प्रतिशत ग्रामीण बच्चे कक्षा 2 स्तर का पाठ धाराप्रवाह नहीं पढ़ सकते हैं, भले ही वह उनकी क्षेत्रीय भाषा में हो। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आधे से अधिक बच्चे 3 अंकों वाले भागफल के सवाल का हल ठीक से नहीं कर पाते हैं। इस आयु वर्ग के केवल 43.3 प्रतिशत बच्चे ही ऐसी समस्याओं का सही ढंग से समाधान कर पाते हैं। ये सवाल आमतौर पर तीसरी और चौथी कक्षा के बच्चों के लिए होते हैं। हालाँकि, सर्वेक्षण में कहा गया है कि लगभग 57.3 प्रतिशत अंग्रेजी में वाक्य पढ़ सकते हैं। और जो लोग अंग्रेजी में वाक्य पढ़ सकते हैं, उनमें से लगभग 75 प्रतिशत उनके अर्थ बता सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार लड़कियाँ (76 प्रतिशत) अपनी क्षेत्रीय भाषा में दूसरी कक्षा का पाठ पढ़ने में पुरुषों (70.9 प्रतिशत) की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करती हैं। सर्वेक्षण से पता चलता है कि इसके विपरीत, अंकगणित और अंग्रेजी पढ़ने में पुरुष अपनी महिला समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
पहली बार असर ने कक्षा 11 और 12 और कॉलेज में नामांकित छात्रों के रिकॉर्ड को भी दर्ज किया गया है। कक्षा 11 और 12 में, 54% कला और मानविकी में, 9.3% वाणिज्य में और 33.7% विज्ञान में नामांकित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुषों (36.3%) की तुलना में महिला छात्रों के विज्ञान स्ट्रीम (28.1%) में नामांकित होने की संभावना कम है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि जो छात्र ग्रेड 11 और 12 में विज्ञान में नामांकित हैं, वे ग्रेड 9 में उच्च प्रदर्शन करने वाले हैं, इसलिए उन्हें विज्ञान स्ट्रीम में चुना गया है, और इसलिए उनके ग्रेड स्तर पर होने की अधिक संभावना है।
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