शायद यह दिल्ली के विधानसभा चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू है कि केजरीवाल के ख़िलाफ़ उम्मीदवार चुनने में बीजेपी और कांग्रेस को ख़ासी मुश्किलें पेश आ रही हैं। कल नामांकन का आख़िरी दिन है लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी दोनों ही दल अब तक किसी उम्मीदवार का नाम तय नहीं कर सके हैं।
केजरीवाल ने 2013 में अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हरा दिया था। इस चुनाव नतीजे से देश भर में लोगों को ख़ासी हैरानी हुई थी क्योंकि शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने 15 साल तक दिल्ली में सरकार चलाई थी और केजरीवाल राजनीति में एक़दम नये थे। इसके बाद 2015 में भी केजरीवाल ने जोरदार जीत दर्ज की थी।
आम आदमी पार्टी इस चुनाव में बेहद आक्रामक अंदाज में दिख रही है। पार्टी का कहना है कि वह केजरीवाल सरकार के काम के आधार पर जीत दर्ज करेगी। ऐसे में दोनों दलों को केजरीवाल के ख़िलाफ़ उम्मीदवार के चयन में ख़ासी मुश्किल हो रही है।
कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित की बेटी लतिका दीक्षित को उम्मीदवार बनाने की चर्चा थी लेकिन शायद लतिका चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक मुकेश शर्मा को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है। पिछले चुनाव में केजरीवाल के सामने चुनाव लड़ीं दिल्ली सरकार की पूर्व मंत्री किरण वालिया इस बार उनके सामने मैदान में नहीं उतरना चाहतीं।
बीजेपी में भी इस मुद्दे पर मंथन जारी है। पार्टी ने पिछली बार युवा नेता नुपुर शर्मा को मैदान में उतारा था। लेकिन इस बार वह केजरीवाल को उन्हीं के गढ़ में घेरना चाहती है और इसलिए मजबूत उम्मीदवार की तलाश में है। पहले चर्चा थी कि वह आम आदमी पार्टी छोड़कर आए कपिल मिश्रा को टिकट दे सकती है लेकिन कपिल मिश्रा को मॉडल टाउन से मैदान में उतारा गया है। बताया जा रहा है कि पार्टी राज्यसभा सांसद विजय गोयल को उम्मीदवार बना सकती है। बीजेपी मशहूर कवि और आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता कुमार विश्वास के भी संपर्क में है और उन्हें केजरीवाल के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ाना चाहती है।
अपनी राय बतायें