तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में लगातार हंगामा हो रहा है। सोमवार को एक बार फिर राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे को उठाया। कांग्रेस सहित विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा न होने के विरोध में सदन से वॉकआउट कर दिया। हंगामे की वजह से कई बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि चीन हमारी जमीन पर कब्जा कर रहा है। इस मुद्दे पर हम चर्चा नहीं करेंगे तो और किस मुद्दे पर करेंगे?
इससे पहले चीन-भारत सीमा विवाद के मुद्दे पर चर्चा के लिए राज्यसभा में कांग्रेस सांसद जेबी माथेर, सैयद नसीर हुसैन, प्रमोद तिवारी ने सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस दिया। जबकि कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हुई झड़प और भारतीय सीमा में घुसपैठ को लेकर चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा है कि संघर्ष के बावजूद भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ रहा है।
चीन पर चर्चा की मांग
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चीन पर संसद में बहस से "भागने" का आरोप लगाया है और कहा है कि उन्हें इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए न कि रक्षा मंत्री को। विपक्षी दल ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री अपने मुंह से "चीन" का नाम तक नहीं लेते और क्या यह चुप्पी उस देश के साथ "घनिष्ठ संबंधों" के कारण है।
कांग्रेस ने कहा है कि संसद में तवांग की स्थिति पर बहस होनी चाहिए और प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए और विपक्ष के साथ इस पर चर्चा करनी चाहिए। कई पूर्व प्रधानमंत्रियों ने संसद में जवाब दिया है। जबकि मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो बहस से भागते हैं और वह चीन का नाम तक नहीं लेते।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा है कि देश में चीन पर चर्चा कब होगी।
खड़गे ने पूछा था कि क्या भारतीय संसद में चीन के विरूद्ध बोलने की अनुमति नहीं है? उन्होंने कहा था कि चीन के द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण के बारे में हम इस सदन में चर्चा चाहते हैं। हमारी कोशिश है कि हमारे साथ ही पूरे देश को यह जानकारी मिले कि वहां की स्थिति क्या है?
खड़गे ने पूछे थे सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा था कि आप 2014 के बाद 18 बार शी जिनपिंग से मिले हैं। 16 बार सैन्य वार्ता हुई है। ये बताइए कि क्या चीन अप्रैल, 2020 से पहले की यथास्थिति को मानने को तैयार नहीं है? तवांग, अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं। हमारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री सभी वहां जाते रहते हैं। इसके बावजूद चीन किस अधिकार से उस इलाक़े में घुसपैठ करना चाहता है?
अपनी राय बतायें