देश के शीर्ष आतंकवाद विरोधी टास्क फोर्स राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने रविवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया यानी पीएफआई के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई की है। एजेंसी ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कई स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया और पीएफआई से जुड़े ठिकानों पर छापे मारे हैं। रिपोर्टों में एनआईए के अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि तेलंगाना के छह जिलों में 38 स्थानों और आंध्र प्रदेश के दो जिलों में दो स्थानों सहित कुल 40 जगहों पर छापे मारे गए।
एक रिपोर्ट के अनुसार पीएफआई के सदस्यों को हिंसा भड़काने और अवैध गतिविधियों के सिलसिले में पूछताछ के लिए उठाया गया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने तेलंगाना के निजामाबाद जिले में एक घर पर भी छापा मारा और सोमवार को हैदराबाद में एनआईए कार्यालय में पेश होने के लिए एक व्यक्ति को नोटिस जारी किया है।
यह कार्रवाई उस मामले में की गई है जिसमें इस साल जुलाई में तेलंगाना के निजामाबाद पुलिस स्टेशन द्वारा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 (1) (बी) के तहत पीएफआई सदस्यों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था। निजामाबाद में उस्मानिया मस्जिद के पास एक घर में कुछ कथित राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से संबंधित प्राथमिकी में अब्दुल कादर, 26 लोगों और अन्य के नाम थे।
कादर, शेख सहदुल्ला, मोहम्मद इमरान और मोहम्मद अब्दुल मोबिन नाम के शख्स को राज्य की पुलिस ने गिरफ्तार किया था और बाद में 28 अगस्त को एनआईए ने मामला फिर से दर्ज किया था। एचटी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि यह पड़ताल आतंकवादियों के स्रोतों का पता लगाने के लिए की गई है।
कराटे सिखाने की आड़ में हिंसा भड़काने और अवैध गतिविधियों/प्रशिक्षण के आरोप में उनसे पूछताछ की जा रही है।
एनआईए अधिकारियों की कई टीमों ने एक साथ निजामाबाद, कुरनूल, गुंटूर और नेल्लोर जिलों में तलाशी ली। जब नंदयाल और कुरनूल में एनआईए की तलाशी चल रही थी, कई स्थानीय लोगों ने वहां पहुंचे अधिकारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, नारे लगाए और उन्हें वापस जाने के लिए कहा।
तेलंगाना के निजामाबाद जिले में शाहिद चौसीह नाम के एक व्यक्ति के घर की तलाशी ली गई और उनका पासपोर्ट और बैंक पासबुक जब्त कर लिया गया। उन्हें सोमवार को हैदराबाद एनआईए कार्यालय आने का नोटिस भी जारी किया गया है।
इसी महीने एनआईए ने बिहार में भी कार्रवाई की थी। दस दिन पहले टेरर एंगल से फुलवारी शरीफ मामले की जांच के सिलसिले में बिहार में 30 जगहों पर एनआईए ने छापे मारे थे।
कहा गया कि जिन लोगों को पकड़ा गया, उनके निशाने पर पीएम मोदी थे। एनआईए ने इतने बड़े पैमाने पर शायद ही कभी छापे मारे हों। तब कहा गया था कि बिहार के कुछ इलाके में कथित तौर पर पीएफआई से जुड़े लोगों की तलाश की जा रही है।
कुछ मीडिया रपटों में एनआईए सूत्रों के हवाले से दावा किया गया था कि पीएफआई के कथित सदस्यों के पास बेहद आपत्तिजनक दस्तावेज पाए गए। इस संगठन पर मार्शल आर्ट ट्रेनिंग की आड़ में हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने का आरोप है और भारत को 2047 तक 'इस्लामिक राज्य' बनाने का लक्ष्य तय किया गया है।
इन कार्रवाइयों के बीच एक इंटरव्यू में पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने उन आरोपों को खारिज किया था। बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू में पीएफआई महासचिव अनीस ने कहा था कि न तो गजवा ए हिन्द का हमारा कोई सपना है और न ही हम भारत को इस्लामी देश बनाना चाहते हैं, न ही हिन्दुओं की हत्या हमारे एजेंडे का हिस्सा है। बीबीसी के मुताबिक यह पूछे जाने पर कि सरकारी एजेंसियां और मीडिया का कुछ हिस्सा उन्हें आतंकवादी संगठन क्यों कहते और लिखते हैं, इसके जवाब में अनीस अहमद ने कहा था कि हम सरकार की मुस्लिम विरोधी नीतियों की आलोचना करते हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमान अपने संवैधानिक अधिकार इस देश में मांग सकें, इसके लिए हम उन्हें ताकत दे रहे हैं, जागरूक कर रहे हैं तो पूरी कोशिश की जा रही है कि हमें आतंकी और आपराधिक संगठन बता दिया जाए।
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