केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पेगासस जासूसी मामले में भी अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा, आप क्रोनोलोजी समझिए।
उनके कहने का आशय यह है कि ठीक मानसून सत्र शुरू होने से पहले इस मुद्दे को उठाने का मकसद भारत को विकास के रास्ते से भटकाना है।
अमित शाह ने कहा, "लोग कई बार इस वाक्य को हल्के फुल्के में लेते हैं, पर मैं इस बार इस मुद्दे पर गंभीर बात कहना चाहता हूँ। चुनिंदा मामलों को लीक करने का समय क्या है, और इसके बाद व्यवधान। आप क्रोनोलोजी समझिए।"
गृह मंत्री ने एक बयान में कहा,
“
यह रिपोर्ट विध्न डालने वालों ने अवरोध पैदा करने वालों के लिए तैयार की है। विध्न डालने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन हैं जो नहीं चाहते कि भारत विकास करे। अवरोध पैदा करने वाले भारत के राजनीतिक दल हैं जो नहीं चाहते कि भारत प्रगति करे।
अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री
याद दिला दें कि जब असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन क़ानूनी यानी सीएए पर आन्दोलन चल रहा था तो अमित शाह ने लोगों से कहा था, आप क्रोनोलोजी समझिए, पहले एनआरसी आएगा, उसके बाद सीएए आएगा।
इस पर अमित शाह का काफी मजाक उड़ाया गया था और वे सोशल मीडिया पर ट्रोल हुए थे।
अमित शाह ने एक बार फिर क्रोनोलोजी समझने की बात कही और बिल्कुल दूसरे मामले में, दूसरे अंदाज में।
बता दें कि भारत के 'द वायर' समेत 16 मीडिया कंपनियों के कंसोर्शियम ने काफी गहन छानबीन और फ़ोरेंसिक जाँच के बाद कहा है कि इज़रायल में बने जासूसी सॉफ़्टवेअर या स्पाइवेअर पेगासस का इस्तेमाल कर भारत के 300 लोगों की जासूसी की गई है, उनके फ़ोन इंटरसेप्ट किए गए हैं।
रविशंकर प्रसाद ने क्या कहा?
पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी मानसून सत्र के पहले यह मुद्दा उठाने की बात कही है। उन्होंने पूछा है कि जब 45 देश पेगासस सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो भारत क्यों निशाने पर लिया जा रहा है, भारत में इस पर इतना बावेला क्यों मचा हुआ है?
रविशंकर प्रसाद ने यह कह कर कि 45 देशों में जो हो रहा है, वह भारत में होने पर बावेला क्यों, बहस को नया मोड़ दे दिया है। उनके कहने का तो यही अर्थ है कि भारत में उन 45 देशों की तरह ही यह जासूसी हुई है और इस पर विरोध का कोई मतलब नहीं है।
मंत्री की सफाई
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने इसे बिना किसी तथ्य के 'सनसनीखेज कहानी' बताते हुए कहा कि वेब पोर्टल की रिपोर्ट खुद ही स्पष्ट करती है कि लिस्ट में कोई नंबर मौजूद होने का यह मतलब नहीं है कि उसकी जासूसी की गई है।
उन्होंने कहा कि ख़ुद उनका नाम उस सूची में है।
आईटी मंत्री ने कहा, "ऐसी सेवाएं किसी के लिए भी, कहीं भी, और कभी भी खुले तौर पर उपलब्ध हैं। आमतौर पर सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ दुनिया भर में निजी कंपनियां भी इसका इस्तेमाल करती हैं। यह भी विवाद से परे है कि डेटा का निगरानी या एनएसओ से कोई लेना-देना नहीं है। इसका भी कोई तथ्यात्मक आधार नहीं हो सकता है कि डेटा का उपयोग किसी भी तरह निगरानी के बराबर है।"
उन्होंने कहा कि संसद के मॉनसून सत्र से एक दिन पहले ऐसी खबर आना यह कोई 'संयोग नहीं' है।
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