अमेरिकन बार एसोसिएशन के सेंटर फ़ॉर ह्यूमन राइट्स ने जामिया मिलिया इसलामिया की शोध छात्रा
सफ़ूरा ज़रग़र की गिरफ़्तारी और उनके जेल में पड़े रहने पर गहरी आपत्ति जताई है और भारत की आलोचना की है।
इस संस्था ने पूरे मामले को अंतरराष्ट्रीय विधि मानकों और भारत ने जिन अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर दस्तख़त किए हैं, उनका उल्लंघन माना है। उसने कहा है, 'मुक़दमा के पहले गिरफ़्तारी कुछ ख़ास मामलों में ही वैध हैं और ऐसा नहीं लगता है कि ज़रगर के मामले में इस तरह की कोई बात है।'
अमेरिकी संस्थान ने यह भी कहा है कि ज़रगर के गर्भवती होने की स्थिति को ध्यान में रखा जाना चाहिए। महिला क़ैदियों के साथ होने वाले व्यवहार पर संयुक्त राष्ट्र के नियम भी साफ कहते हैं कि किसी गर्भवती महिला के जेल में रखने के बजाय दूसरे उपाय अपनाए जाने चाहिए।
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