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लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को बधाई देते हुए सपा नेता अखिलेश यादव ने कड़ा संदेश दिया। उन्होंने बुधवार को लोकसभा में उम्मीद जताई कि नई लोकसभा में सांसदों के निलंबन और निष्कासन जैसी कार्रवाई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सांसदों के निलंबन जैसी कार्रवाई सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाती है।
ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई देते हुए अखिलेश ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि किसी जनप्रतिनिधि की आवाज नहीं दबाई जाएगी और न ही निष्कासन जैसी कार्रवाई दोबारा होगी। आपका अंकुश विपक्ष पर तो रहता ही है, लेकिन सत्ता पक्ष पर भी अंकुश होना चाहिए।'
अखिलेश यादव के दो मिनट के भाषण में लोकसभा अध्यक्ष के लिए व्यंग्य भी किए। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि अध्यक्ष विपक्ष के प्रति निष्पक्ष रहेंगे। उन्होंने कहा कि 'निष्पक्षता इस महान पद की एक बड़ी जिम्मेदारी है। ...सदन को आपके इशारों पर काम करना चाहिए, न कि इसके विपरीत। हम आपके सभी न्यायपूर्ण निर्णयों के साथ खड़े हैं... मुझे उम्मीद है कि आप विपक्ष का उतना ही सम्मान करेंगे जितना आप सत्ताधारी दल का करते हैं।' अखिलेश यादव ने कहा, 'आप यहां लोकतंत्र की अदालत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में बैठे हैं।'
समझा जाता है कि अखिलेश यादव संसद के पिछले शीतकालीन सत्र में सांसदों के रिकॉर्ड निलंबन के संदर्भ में बोल रहे थे। तब निलंबित हुए सांसदों की संख्या क़रीब डेढ़ सौ पहुँच गई थी। निलंबन की कार्रवाई के बाद सांसदों ने कहा था कि मोदी सरकार 'विपक्ष मुक्त' संसद देखना चाहती है। संसद में 'सुरक्षा चूक' को लेकर वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मौजूदगी में गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे थे। इससे पहले इतनी संख्या में कभी भी सांसद निलंबित नहीं हुए थे। 15 मार्च 1989 को लोकसभा से 63 सांसदों को तब निकाला गया था जब सांसद इंदिरा गांधी हत्याकांड की जांच करने वाले आयोग की रिपोर्ट सदन में पेश करने की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे।
बहरहाल, बुधवार को दिन में ओम बिड़ला ने स्पीकर पद के लिए हुए दुर्लभ चुनाव में विपक्षी दल इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के सुरेश को ध्वनि मत से हराया।
राहुल गांधी ने भी ओम बिड़ला के लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने पर अपने बधाई संदेश में कड़ा संदेश दिया। उन्होंने स्पीकर को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसभा अध्यक्ष जनता की आवाज का अंतिम पंच होता है और इस बार विपक्ष पिछली बार की तुलना में उस आवाज का अधिक प्रतिनिधित्व करता है। विपक्ष के नेता के रूप में अपनी पहली उपस्थिति में राहुल ने कहा, 'विपक्ष आपके काम करने में आपकी सहायता करना चाहेगा। हम चाहते हैं कि सदन चले। यह बहुत ज़रूरी है कि सहयोग विश्वास के आधार पर हो। यह बहुत ज़रूरी है कि विपक्ष की आवाज को इस सदन में प्रतिनिधित्व मिले।'
उन्होंने कहा, 'मुझे पूरा विश्वास है कि आप हमें बोलने देंगे। सवाल यह नहीं है कि सदन कितनी कुशलता से चलाया जाता है। सवाल यह है कि भारत की आवाज को कितना सुनने दिया जा रहा है। इसलिए यह विचार कि आप विपक्ष की आवाज़ को दबाकर सदन को कुशलतापूर्वक चला सकते हैं, एक गैर-लोकतांत्रिक विचार है। इस चुनाव ने दिखा दिया है कि भारत के लोग विपक्ष से संविधान की रक्षा करने की उम्मीद करते हैं।'
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