प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने दिल्ली में प्रदूषण के लिए अजीब तर्क दिया। राज्य सरकार ने कहा कि पड़ोसी मुल्क़ पाकिस्तान से ख़राब हवा आ रही है और इस वजह से दिल्ली की हवा पर असर पड़ रहा है।
राज्य सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण में उत्तर प्रदेश के उद्योगों की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य के उद्योगों को बंद नहीं किया जाना चाहिए।
इस पर सीजेआई एनवी रमना ने कहा, “तो आप क्या चाहते हैं कि हम पाकिस्तान में उद्योगों को बंद कर दें।” राज्य सरकार ने अदालत से कहा कि उद्योगों के बंद करने से गन्ने और दूध की इंडस्ट्री पर असर पड़ेगा।
दूसरी ओर दिल्ली सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रदूषण के चलते अगर निर्माण कार्यों को बंद किया जाता है तो इससे अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के काम पर असर पड़ेगा। केंद्र सरकार ने भी दिल्ली सरकार की इस दलील का समर्थन किया और कहा कि अस्पतालों का निर्माण कार्य जारी रखने की इजाजत दी जाए।
दोनों की बात सुनने के बाद अदालत ने दिल्ली सरकार को अस्पतालों का निर्माण कार्य जारी रखने की इजाजत दे दी। लेकिन बाकी निर्माण कार्यों पर रोक जारी रहेगी।
केंद्र ने दिया हलफ़नामा
उधर, केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा देकर कहा है कि उसने पांच सदस्यों वाली टास्क फ़ोर्स का गठन किया है। यह टास्क फ़ोर्स प्रदूषण को रोकने के लिए दिए गए अदालत के निर्देशों का पालन करवाएगी।
केंद्र सरकार ने हलफ़नामे में कहा है कि उसने दिल्ली के अंदर फ्लाइंग स्क्वाड की संख्या बढ़ा दी है। दिल्ली में 124 जगहों पर निरीक्षण टीमों को तैनात कर दिया गया है जो ये सुनिश्चित कर रही हैं कि ट्रक राष्ट्रीय राजधानी के अंदर ना आ पाएं। सिर्फ़ उन ट्रक को इससे छूट मिलेगी जो सीएनजी से चलते हैं और ज़रूरी सामान लेकर आ रहे हैं।
दिल्ली में फैले प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट कई बार सख़्त टिप्पणी कर चुका है। अदालत ने गुरुवार को केंद्र व दिल्ली सरकार से कहा था कि ऐसा लगता है कि कुछ नहीं हो रहा है और प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। अदालत ने कहा था, "सिर्फ़ वक़्त बर्बाद किया जा रहा है और अगर आप कार्रवाई नहीं करते तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे, हम आपको 24 घंटे देते हैं।" कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली सरकार ने स्कूलों को अगले निर्देश तक बंद रखने का आदेश जारी किया था।
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