देश की लगातार ख़राब होती आर्थिक स्थिति के बीच ही अब नौसेना का भी बजट कम कर दिया गया है। इस कारण नौसेना को जंगी जहाज़ के निर्माण या ख़रीद में कटौती करना पड़ सकता है। यह बात कोई और नहीं, बल्कि ख़ुद नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने स्वीकार की है। इनके इस बयान से अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या देश की ख़राब आर्थिक स्थिति का असर रक्षा मामलों पर भी पड़ने लगा है?
पैसे की कमी के कारण नौसेना नहीं बढ़ा पाएगी जंगी जहाज़!
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- 4 Dec, 2019

देश की लगातार ख़राब होती आर्थिक स्थिति के बीच ही अब नौसेना में भी बजट की कमी है। इस कारण नौसेना को जंगी जहाज़ के निर्माण या ख़रीद में कटौती करना पड़ सकता है।
नौसेना प्रमुख ने कहा है कि रक्षा बजट में नौसेना का हिस्सा 2012 में 18 फ़ीसदी से घटकर 2019-20 में 12 फ़ीसदी पर आ गया है। यानी नौसेना प्रमुख सिंह का साफ़ तौर पर कहना है कि बजट कम होने से नौसेना को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि थल सेना के बारे में भी मई महीने में भी ऐसी ही दिक्कतों की ख़बरें आई थीं। तब सेना ने रक्षा मंत्रालय को इस बारे में एक चिट्ठी लिख कर रेड अलर्ट जारी किया था। इसने सरकार को आगाह किया था कि घटिया गोला-बारूद की वजह से युद्ध की तैयारियों पर दूरगामी और बुरा असर पड़ सकता है। इससे पहले सेना की हालत पर रक्षा मामलों से जुड़ी संसदीय कमेटी की रिपोर्ट में यह ख़ुलासा किया गया था कि सेना के पास हथियारों की भारी कमी है, काफ़ी हथियार पुराने पड़ गये हैं। इसके बाद विपक्षी दलों ने बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया था। उनका यह हमला इसलिए भी तीखा था कि भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रवाद को चुनाव प्रचार का मुख्य आधार बनाया, सेना का जमकर इस्तेमाल किया और विपक्षी दलों, ख़ास कर कांग्रेस को खूब आड़े हाथों लिया था, लेकिन बीजेपी सरकार के बारे में रिपोर्ट आई थी कि वह सेना को उचित गोला-बारूद तक मुहैया नहीं करा रही थी। हालाँकि सरकार ने इन रिपोर्टों को खारिज कर दिया था।