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केरल में अडानी पोर्ट क्या केंद्रीय सुरक्षा बलों के साये में बनेगा

केरल के विझिंगम में अडानी पोर्ट बनाने के लिए अडानी ग्रुप ने अब वहां केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की मांग की है। उसने सोमवार को हाईकोर्ट में कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई है, इसलिए विझिंगम में केंद्रीय बल तैनात किए जाएं ताकि पोर्ट का निर्माण कार्य शुरू हो सके। अडानी पोर्ट का विरोध केरल के तटवर्ती गांवों में फैलता जा रहा है। रविवार को हुए प्रदर्शन और पुलिस स्टेशन पर हमले के आरोप में पुलिस ने 3000 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर स्थिति नियंत्रण का दावा किया है लेकिन विझिंगम में तनाव बरकरार है। मछुआरों की यह आवाज दबकर रह गई है कि आखिर वे इस पोर्ट का विरोध क्यों कर रहे हैं, अब मुख्य मुद्दा प्रदर्शन हो गया है। 

करीब एक महीने से विझिंगम में मछुआरा समुदाय अडानी पोर्ट के विरोध में प्रदर्शन कर रहा था। इसके जवाब में कुछ हिन्दू संगठन मछुआरों के आंदोलन का विरोध और पोर्ट का समर्थन कर रहे थे। मछुआरों के प्रदर्शन को केरल के सभी चर्चों का समर्थन प्राप्त है। शनिवार को पुलिस ने अचानक ही मछुआरा आंदोलनकारियों के पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया। रविवार को इस गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन के लिए भारी भीड़ गांवों से विझिंगम पहुंच गई। यही भीड़ विझिंगम थाने जा पहुंची और उसने उन 5 लोगों को छोड़ने की मांग की। पुलिस ने मना किया। इस दौरान पथराव शुरू हो गया। भीड़ ने थाने पर हमला कर दिया। पुलिस का दावा है कि कई पुलिसकर्मियों को चोट आई। पुलिस ने करीब 3000 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने सोमवार को उन पांच आंदोलनकारियों को रिहा कर दिया। कोई यह नहीं समझ सका कि जब पुलिस को उन्हें छोड़ना था तो गिरफ्तार क्यों किया गया। उन्हीं की गिरफ्तारी की वजह से रविवार को हिंसा हुई थी। 

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केरल हाईकोर्ट में आज सोमवार को इस मामले की सुनवाई की सुनवाई के दौरान अडानी ग्रुप ने राज्य में कानून व्यवस्था की हालत को बदतर बताते हुए केंद्रीय बल तैनात करने की मांग की। अडानी ग्रुप ने जस्टिस अनु सिवरामन की कोर्ट में  कहा कि रविवार की हिंसा पूर्व नियोजित थी। मौके पर पुलिस मूकदर्शक बनी रही। प्रदर्शनकारी निर्माण सामग्री निर्माणस्थल पर नहीं लाने दे रहे हैं। अदालत के तमाम आदेशों और निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि प्रदर्शनकारियों से बातचीत जारी है। उन्हें समझाया जा रहा है। विझिंगम में धारा 144 लगी हुई है। तीन हजार लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। अदालत ने शुक्रवार को इस मामले को फिर सुनने का फैसला किया है।

क्यों हो रहा है विरोधः मछुआरा समुदाय के लिए विझिंगम का समुद्री तट जीवनरेखा है। यही उनकी रोटी-रोजी है। मछुआरों का कहना है कि जिस हिस्से में पोर्ट बनाया जा रहा है वहां ग्रोइन्स (सीमेन्ट और मसाले का अवरोध) का अवैज्ञानिक निर्माण, पुलिमट्ट (बनावटी समुद्री दीवार) की वजह से कोस्टल एरिया का क्षरण बढ़ जाएगा। इससे पर्यावरण को नुकसान तो होगा ही। सबसे महत्वपूर्ण है कि मछलियां प्रभावित होंगी, जिसे उनका कारोबार चौपट हो जाएगा। केरल के पर्यावरणवादियों ने भी इस पर चिन्ता जताई है। उनका कहना है कि अडानी पोर्ट से सिर्फ तिरुवनंतपुरम का समुद्री तट ही नहीं प्रभावित होगा, बल्कि इस असर कोल्लम, अलपुझा, कोच्चि और अन्य समुद्री तटों पर भी पड़ेगा।

सरकार का रुख

दरअसल, केंद्र सरकार की नीति के तहत अडानी ग्रुप को यह पोर्ट आवंटित हुआ है।केरल सरकार का कहना है कि वो इस पोर्ट का निर्माण नहीं रुकवा सकती क्योंकि इसमें केंद्र सरकार शामिल है। यह राज्य सरकार का प्रोजेक्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इसकी अनुमति दी है। लेकिन केरल के सभी चर्च इसके खिलाफ हैं। चूंकि अधिकांश मछुआरे ईसाई हैं, इसलिए चर्च को इस मामले में स्टैंड लेना पड़ा है। लैटिन कैथोलिक आर्चडायसी का कहना है कि जब किसी की रोटी-रोजी छीनी जाएगी तो वो विरोध करेगा ही। चर्च सच्चाई और ईमानदारी के साथ खड़ा है। मछुआरा समुदाय गरीब है। उन्हें इस तरह दबाया नहीं जा सकता। 

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अडानी पोर्ट को लेकर केरल हाईकोर्ट में शुक्रवार को फिर से सुनवाई होगी। कोर्ट के रुख से साफ लग रहा है कि वो विझिंगम में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दे सकता है। क्योंकि कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान साफ कर दिया कि उसने पोर्ट के निर्माण में आ रही सारी बाधाओं को दूर करने का आदेश पहले ही दे दिया था। अदालत की अवमानना की नौबत नहीं आने पाए, ऐसी अदालत उम्मीद करती है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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