तमाम एयरलाइंस ने अडानी कंपनी संचालित मंगलुरु एयरपोर्ट पर यूजर्स फीस बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। अडानी की कंपनी एएएचएल (अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड) देशभर में सात एयरपोर्ट का जिम्मा संभाल रही है। एयरलाइंस ने पहले भी विरोध किया था, लेकिन अब उन्होंने मंगलुरु एयरपोर्ट मामले का संगठित होकर विरोध किया है।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह विरोध फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस (एफआईए) की तरफ से आया है। जिसमें इंडिगो, स्पाइसजेट और गो फर्स्ट शामिल हैं।
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एयरलाइंस का कहना है कि अभी तक हम लोग कोरोना महामारी से हुए नुकसान से भी नहीं निकल पाए हैं। प्रस्तावित शुल्क बढ़ोतरी से उनके कारोबार पर भारी असर पड़ेगा। एयरलाइंस ने सुझाव दिया कि इसके बजाय एयरपोर्ट अपने गैर-वैमानिक (एरोनॉटिकल) स्रोतों से आमदनी बढ़ाए। इसमें यात्रियों के लिए क्रॉस-सब्सिडी शुल्क और एयरलाइंस के लिए लैंडिंग और पार्किंग शुल्क का बढ़ाना शामिल है। एयरलाइंस टैरिफ मॉडल के अनुसार, गैर-एयरो आमदनी का 30% क्रॉस-सब्सिडी और यात्रियों और एयरलाइनों पर शुल्क कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक टैरिफ रेगुलेटर एयरपोर्ट्स इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AERA) ने भी एयरपोर्ट ऑपरेटर यानी अडानी समूह की कंपनी से नॉन-एयरो रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए प्रयास करने को कहा, जिसमें ड्यूटी-फ्री शॉप्स, रेस्त्रां, लाउंज और कार पार्किंग जैसे स्रोतों से होने वाली आमदनी शामिल है।
मेंगलुरु एयरपोर्ट को संचालित करने वाली अडानी समूह की कंपनी ने एयरपोर्ट पर विकास की गतिविधियों की फंडिंग के लिए अगले पांच साल की अवधि के लिए यात्री, लैंडिंग और पार्किंग शुल्क में तत्काल प्रभाव से 49 से 74% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है। इसने आने (अराइवल) और जाने (डिपार्चर) वाले दोनों यात्रियों पर यूजर्स फीस लगाने की अनुमति का भी अनुरोध किया है। हालांकि आमतौर पर एयरपोर्ट पर आने वाले यात्रियों पर यूजर्स फीस नहीं थोपी जाती है। अडानी की कंपनी का प्रस्ताव मंजूर होने पर मंगलुरु एयरपोर्ट से आने -जाने वालों को सभी एयरलाइंस का महंगा टिकट खरीदना पड़ेगा।
इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि मंगलुरु में गैर-एयरो राजस्व बढ़ाने की सीमित गुंजाइश थी और वर्तमान में एयरपोर्ट डेवलपर (अडानी) हवाईअड्डे पर बुनियादी ढांचे और सुरक्षा स्थितियों में सुधार पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा था। अदानी एयरपोर्ट्स होल्डिंग्स ने नवंबर 2020 में हवाई अड्डे का संचालन संभाला था।
मंगलुरु एयरपोर्ट में शुल्क बढ़ोतरी के मामले में विवाद होने पर अडानी समूह या उसकी कंपनी ने अभी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
देश में जब बीजेपी दोबारा 2019 में केंद्र की सत्ता में आई तो देश के तमाम एयरपोर्ट को प्राइवेट सेक्टर को देने का काम शुरू हुआ। लेकिन इसमें सबसे बड़ी कामयाबी अडानी समूह की कंपनी को मिली। अडानी ग्रुप को देश में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले एयरपोर्टों में से लखनऊ, अहमदाबाद, मेंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुअनंतपुरम को संचालित करने का काम मिल गया। मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट का काम जीवीके ग्रुप के पास था, अडानी ने जीवीके ग्रुप से भी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट को संभालने का काम खरीद लिया। बाकी छह एयरपोर्ट भी इंटरनेशनल फ्लाइट वाले ही एयरपोर्ट हैं। अडानी को सभी एयरपोर्ट 50 साल की लीज पर मिले हैं।
इस खेल को समझिए
अडानी ग्रुप की कंपनी ने लखनऊ में एयरपोर्ट को टेकओवर करते ही दस फीसदी शुल्क बढ़ा दिए थे। इस पर जब शोर मचा तो अडानी का जवाब बहुत अजीब था। मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ने अपनी सफाई में यह ठीकरा एक ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसी पर फोड़ दिया। अडानी ने कहा कि उसने एक ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी को काम सौंपा था, उसने शुल्क बढ़ाया था। नियमानुसार इस मामले में टैरिफ विनियमन प्राधिकरण या एईआरए की इस मामले में अनुमति मिलनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं था। बाद में यह मामला दब गया। लखनऊ एयरपोर्ट पर यूजर्स चार्जेंस उसके बाद और भी बढ़ चुके हैं।
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आमतौर पर ग्राहक एयरपोर्ट पर विभिन्न फीस भरते समय या एयरलाइंस का टिकट खरीदते समय इन बातों पर ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए भारत में इस तरह की जागरूकता नहीं है।
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