अडानी समूह ने संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) की एक रिपोर्ट के आरोपों को खारिज कर दिया। अडानी समूह ने कहा कि ये आरोप उस विदेशी मीडिया के उस वर्ग द्वारा लगाए हैं जिन्हें जॉर्ज सोरोस वित्त पोषित करते हैं। अडानी समूह ने कहा- खारिज कर दी गई हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पुनर्जीवित करने की यह एक और ठोस कोशिश लग रही है। बता दें कि ओसीसीआरपी रिपोर्ट और गार्जियन ने दो विदेशी निवेशकों के जरिए अडानी समूह पर अपने ही शेयरों में गुप्त रूप से पैसे लगाने का आरोप लगाया गया है।
अडानी समूह ने कहा कि ओसीसीआरपी रिपोर्ट में किए गए दावे एक दशक पहले के बंद मामलों पर आधारित हैं। जिनकी जांच राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने की थी। उसने विदेश में धन के हस्तांतरण, संबंधित पार्टी से लेनदेन और एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) के माध्यम से निवेश के आरोपों की जांच की थी।
अडानी समूह ने कहा - "एक स्वतंत्र निर्णायक प्राधिकारी और एक अपीलीय ट्रिब्यूनल दोनों ने पुष्टि की थी कि कोई अधिक मूल्यांकन नहीं किया गया था और सभी लेनदेन लागू कानून के अनुसार थे। मार्च 2023 में मामले को अंतिम रूप मिला जब भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया। यह साफ है कि चूँकि कोई अधिक मूल्यांकन नहीं था, इसलिए धन के हस्तांतरण पर इन आरोपों की कोई प्रासंगिकता या आधार नहीं है।"
अडानी समूह ने कहा कि "एफपीआई पहले से ही सेबी द्वारा जांच का हिस्सा हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति के अनुसार, समूह के खिलाफ न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) आवश्यकताओं के उल्लंघन या स्टॉक की कीमतों में हेरफेर का कोई सबूत नहीं है।"
अडानी समूह ने आरोप लगाया कि "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन प्रकाशनों (ओसीसीआरपी, द गार्जियन) ने हमें जो सवाल भेजे थे, हमारी प्रतिक्रिया पूरी तरह से प्रकाशित नहीं की। तमाम शॉर्ट सेलर्स की विभिन्न अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है।"
कंपनी ने कहा कि मौजूदा नियामक प्रक्रिया का सम्मान करना महत्वपूर्ण है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) दोनों ही इस मामले की निगरानी कर रहे हैं। अडानी समूह ने कहा- "हमें कानून की उचित प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है और हम अपने खुलासों की गुणवत्ता और कॉर्पोरेट मानकों के प्रति आश्वस्त हैं। इन तथ्यों के प्रकाश में, इन समाचार रिपोर्टों का समय संदिग्ध, शरारती और दुर्भावनापूर्ण है। हम इन रिपोर्टों को अस्वीकार करते हैं।''
कंपनी के मुताबिक सीबीआई ने बिजली पारेषण उपकरणों के अधिक मूल्यांकन और अधिक चालान के आरोपों की भी जांच की। इसने 15 जुलाई 2015 को मामला बंद कर दिया था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पाया है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और टैक्स हेवन में विदेशी संस्थागत निवेशकों सहित 18 कंपनियां, हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में कम बिक्री से सबसे ज्यादा लाभार्थी थीं, जिसके कारण जनवरी में बाजार में गिरावट आई थी। ईडी ने अपने निष्कर्षों को सेबी के साथ साझा किया है। सूत्रों का कहना है कि जांच एजेंसियां इन कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य आरोपों की जांच कर सकती हैं।
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